भारत ने ग्रीस के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाकर तुर्की को उन्हीं की भाषा में दिया जवाब
ग्रीस के विदेश मंत्री निकोस देंदियास के बीच हुई वर्चुअल द्विपक्षीय बैठक के बड़े मायने हैं क्योंकि इस बैठक में रक्षा तकनीकी क्षेत्र में सहयोग की शुरुआत करने की सहमति बनी है। रक्षा व सैन्य संबंधों की अपार संभावनाएं हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तुर्की के राष्ट्रपति जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठा रहे हैं उसे देखते हुए भारत ने उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब देने का मन बनाया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर की गुरुवार को ग्रीस के विदेश मंत्री निकोस देंदियास के बीच हुई वर्चुअल द्विपक्षीय बैठक के बड़े मायने हैं क्योंकि इस बैठक में रक्षा तकनीकी क्षेत्र में सहयोग की शुरुआत करने की सहमति बनी है। जानकारों का कहना है कि अभी इन दोनो देशों को एक दूसरे की जरुरत है और इनके बीच रक्षा व सैन्य संबंधों की अपार संभावनाएं हैं।
सीमा विवाद की वजह से तुर्की व ग्रीस के बीच तनावपूर्ण संबंध
भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि ग्रीस ने विदेश मंत्री की ईस्टर्न मेडिटेरियन के हालात के बारे में जानकारी दी है। सनद रहे कि इस इलाके में समुद्री सीमा को लेकर ग्रीस और तुर्की के बीच काफी दिनों से विवाद चल रहा है जो हाल के दिनों में बढ़ गया है। तुर्की की तरफ से हाल ही में यह ऐलान किया गया है कि वह इस समूचे क्षेत्र में खनिजों का पता लगाने के लिए अध्ययन करेगा। इससे आने वाले दिनों में दोनो देशों के बीच विवाद बढ़ने की संभावना है। यही नहीं तुर्की ने पाकिस्तान के साथ इस क्षेत्र में सैन्य अभ्यास करने का ऐलान किया है जिसकी वजह से ग्रीस चिंतित है। यही वजह है कि ग्रीस व भारत के बीच बेहतर संभावनाओं को बनते हुए देखा जा रहा है।
राष्ट्रपति एर्दोगेन के कार्यकाल में भारत के साथ तुर्की के रिश्ते खराब होते जा रहे हैं
सनद रहे कि राष्ट्रपति एर्दोगेन के कार्यकाल में भारत के साथ तुर्की के रिश्ते लगातार खराब होते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में लगातार दो साल एर्दोगेन ने अपने भाषण में बेवजह ही कश्मीर का मुद्दा उठाया है। उनका यह रवैया कश्मीर के पारंपरिक रवैये से अलग है।
पीएम मोदी ने एर्दोगेन से कहा था- तुर्की को भारत विरोधी रवैये पर लगाम लगाना चाहिए
पीएम नरेंद्र मोदी ने सितंबर, 2019 में अपनी अमेरिका दौरे ग्रीस व अर्मेनिया के प्रमुखों से अलग से मुलाकात कर तभी तुर्की को यह संदेश दिया था कि उसे अपने भारत विरोधी रवैये पर लगाम लगाना चाहिए। ग्रीस की तरफ अर्मेनिया के साथ भी तुर्की के रिश्ते बेहद तल्ख है।