पिछले एक साल में पाक से आए टिड्डी दलों ने भारत में करोड़ों रुपये की फसलों का किया नुकसान
भारत-पाकिस्तान की सीमा पर हजारों किलोमीटर में फैले रेगिस्तान में अंधड़ चलने लगे हैं और इस बवंडर के साथ आ रहे टिड्डों के गिरोह भारत के लिए बड़ा संकट पैदा कर रहे हैं।
पंकज चतुर्वेदी। इस साल गर्मी शुरू होते ही राजस्थान के थार इलाके में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर हजारों किलोमीटर में फैले रेगिस्तान में अंधड़ चलने लगे हैं और इस बवंडर के साथ आ रहे टिड्डों के गिरोह भारत के लिए बड़ा संकट पैदा कर रहे हैं। फसलों को पलक झपकते ही चट करने वाले इन टिड्डी दलों से हुए नुकसान के बारे में राजस्थान सरकार के दस्तावेज बताते हैं कि मई 2019 से लेकर फरवरी 2020 तक पाकिस्तान से आए टिड्डी दलों ने सात जिलों में करीब एक हजार करोड़ रुपये की फसलों का नुकसान किया है। कुल सवा दो लाख हेक्टेयर की खड़ी फसल ये टिड्डी दल चबा चुके हैं। हालांकि इन टिड्डी दलों का फसलों पर हमला बीते दशकों में कई बार हुआ है, लेकिन वर्ष 1993 में हुए हमले को अब तक का सबसे बड़ा हमला माना जाता है।
टिड्डी दल का प्रकोप कम से कम तीन साल तक रहता है : दरअसल सोमालिया जैसे उत्तर-पूर्वी अफ्रीकी देशों से ये टिड्डी दल बरास्ता यमन, सऊदी अरब, पाकिस्तान और फिर वहां से भारत पहुंचते रहे हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि ये कीट एक बार इलाके में घुस गए तो इनका प्रकोप कम से कम तीन साल तक रहेगा। अफ्रीकी देशों में महामारी के तौर पर पनपे टिड्डी दलों के बढ़ने की खबरों के मद्देनजर हाल ही में राजस्थान सरकार ने संबंधित अधिकारियों की मीटिंग बुला कर तत्काल इस समस्या ने निपटने के लिए उपायों को अमल में लाने के निर्देश दिए हैं। हमारी फसलों और वनों के शत्रु टिड्डे वास्तव में मध्यम या बड़े आकार के वे साधारण टिड्डे (ग्रास होपर) हैं, जो आम तौर पर हमें बहुत कम दिखाई देते हैं। जब ये छिट-पुट संख्या में होते हैं तो सामान्य रहते हैं, इसे इनकी एकाकी अवस्था कहते हैं।
पाक ने भारत में टिड्डी हमले को साजिश का अंजाम दिया : रेगिस्तानी टिड्डे इनकी सबसे खतरनाक प्रजाति : प्रकृति का अनुकूल वातावरण पाकर इनकी संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो जाती है। तब ये बेहद हानिकारक होते हैं। रेगिस्तानी टिड्डे इनकी सबसे खतरनाक प्रजाति हैं। इनकी पहचान पीले रंग और विशाल झुंड के कारण होती है। वैसे तो भारत और पाकिस्तान के बीच टिड्डों को रोकने के समझौते हैं और इसको लेकर मीटिंग भी होती है, लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने भारत में टिड्डी हमले को साजिश का अंजाम दिया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने तो पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि इस बार टिड्डी हमला हो सकता है। इस साल जनवरी में पाकिस्तान के रेगिस्तानी इलाकों में इनके पंख फड़फड़ाने लगे थे। समझौते के मुताबिक पाकिस्तान को उसी समय रासायनिक दवाओं का छिड़काव कर उन्हें नष्ट कर देना था, लेकिन वह नियमित मीटिंग में झूठे वादे करता रहा। यही नहीं, अब पाकिस्तान चीन से 10 एयर ब्लास्ट स्प्रेयर ले रहा है। ये मशीनें ट्रक पर फिट की जा सकती हैं और ये बहुत ही तेज वेग से कीटनाशकों का छिड़काव करती हैं।
टिड्डों का प्रकोप जुलाई-अगस्त तक चरम पर होगा : यदि पाकिस्तान ने इन मशीनों का इस्तेमाल अंधड़ के समय भारत की तरफ किया तो तेज गति के कारण टिड्डे मरेंगे कम संख्या में, जबकि ज्यादा तेज वेग के कारण भारत की तरफ आ सकते हैं। माना जा रहा है कि इन टिड्डों का प्रकोप जुलाई-अगस्त तक चरम पर होगा। यदि राजस्थान और उससे सटे पाकिस्तान सीमा पर टिड्डी दलों के भीतर घुसते ही कीटनाशकों का सघन हवाई छिड़काव किया जाए, साथ ही रेत के धौरों में अंडफली नष्ट करने का काम जनता के सहयोग से शुरू किया जाए तो इनका सफाया किया जा सकता है। खबर है कि अफ्रीकी देशों से एक किमी तक की लंबाई के टिड्डी दल आगे बढ़ रहे हैं। सोमालिया जैसे देशों में आंतरिक संघर्ष और गरीबी के कारण सरकार इनसे बेखबर है। इसके बारे में भी एफएओ चेता चुका है कि मानसून के साथ इस दल का हमला गुजरात में भुज के आसपास होगा। यमन एवं सऊदी अरब में खेती होती नहीं। जाहिर है इनसे निपटने के लिए भारत और पाकिस्तान को ही मिलकर उपाय करने होंगे।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)