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ढीले पड़े वीके सिंह के तेवर

जम्मू-कश्मीर में मंत्रियों को सेना द्वारा पैसे दिए जाने का खुलासा कर सियासी बवंडर खड़ा करने के बाद पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के तेवर मंगलवार को ढीले पड़ गए। उनके बयान पर आई तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया में केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे समेत कई नेताओं ने पैसा पाने वाले मंत्रियों के नाम जाहिर

By Edited By: Published: Wed, 25 Sep 2013 06:18 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2013 06:23 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में मंत्रियों को सेना द्वारा पैसे दिए जाने का खुलासा कर सियासी बवंडर खड़ा करने के बाद पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के तेवर मंगलवार को ढीले पड़ गए। उनके बयान पर आई तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया में केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे समेत कई नेताओं ने पैसा पाने वाले मंत्रियों के नाम जाहिर करने को कहा है। इस पर बचाव के पैंतरे में आए पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि मंत्रियों को पैसे रिश्वत के तौर पर नहीं दिए गए। बल्कि यह सद्भावना कार्यो के लिए था। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बयान देकर उन्होंने कोई गलती नहीं की। वीके सिंह ने अपने कार्यकाल में गठित खुफिया यूनिट टेक्निकल सपोर्ट डिवीजन पर सेना की रिपोर्ट मीडिया में लीक होने की भी जांच कराए जाने की मांग की।

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पढ़ें: मंत्रियों को पैसा देती है सेना

मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि पूर्व सेना प्रमुख नाम बताएं। सरकार जांच के लिए तैयार है। राज्य में सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस के कई नेताओं समेत केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने वीके सिंह के आरोपों की सीबीआइ जांच की मांग की। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने भी जांच की मांग करते हुए कहा कि सेना को राजनीति से दूर रखना चाहिए। उन्होंने वीके सिंह के बयान को दुखद करार दिया।

विवादों से घिरते रहे जनरल ने अपने पिछले बयान को लेकर उठे बवाल पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गुड़गांव में प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि खुफिया यूनिट के खाते से जिस भी राजनीतिज्ञ को धन दिया गया वह न तो रिश्वत थी और न ही राजनीतिक काम के लिए आवंटित कोई सहायता। बल्कि यह पूरी तरह से सद्भावना की छतरी तले लोगों को अलगाववादी गतिविधियों से दूर करने और उनका भरोसा जीतने के लिए था। उन्होंने कहा कि संभव है कि गुमनाम तरीके से जिस राजनेता को मदद दी गई, उसे इसके बारे में पता भी न हो। पैसे सिर्फ उनके नाम के आगे इसलिए लिखे गए कि शायद उनको बिना उनकी जानकारी के ऐसे कार्यक्रम में बुलाया गया जो इस यूनिट ने बाकी संस्थाओं के साथ आयोजित किया होगा। क्योंकि, यूनिट को हर चीज का ब्योरा देना था, इसलिए उनका नाम लिखा गया होगा। पूर्व सेना प्रमुख ने यह जरूर दोहराया कि सेना की खुफिया यूनिट ने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर समेत कई सूबों में स्थिरता और शांति बनाए रखने के लिए लोगों को धन दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि टीएसडी के हर पैसे का हिसाब रखा गया और रक्षा मंत्रालय को भी हर तिमाही इसकी जानकारी दी जाती थी।

वीके सिंह ने सेना की खुफिया यूनिट के कामकाज की जांच रिपोर्ट लीक होने को लेकर भी साजिश की ओर इशारा किया। उन्होंने इसकी जांच कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के ऐसे संवेदनशील मुद्दों को उजागर करना देशद्रोह जैसा है। वहीं टीएसडी की भूमिका को सराहते हुए सिंह ने दावा किया कि अगर इस खुफिया यूनिट को काम करने दिया जाता तो सीमाओं पर बीते दिनों पेश आई घटनाएं नहीं हो पाती।

'जनरल वीके सिंह को नाम उजागर करना चाहिए। जानकारी मिलती है तो हम जांच कराएंगे।'

-सुशील कुमार शिंदे

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