Move to Jagran APP

प्रधानमंत्री मोदी ने दिए फेक न्यूज संबंधित दिशानिर्देश को वापस लेने के आदेश

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्‍यूज मामले में पर गाइडलाइन जारी किया जिसे पीएम मोदी ने वापस लेने का आदेश दिया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 03 Apr 2018 11:34 AM (IST)Updated: Tue, 03 Apr 2018 01:48 PM (IST)
प्रधानमंत्री मोदी ने दिए फेक न्यूज संबंधित दिशानिर्देश को वापस लेने के आदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने दिए फेक न्यूज संबंधित दिशानिर्देश को वापस लेने के आदेश

नई दिल्‍ली (एएनआई)। फेक न्यूज करने पर पत्रकारों की मान्यता रद्द करने के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फैसले को पीएम मोदी ने वापस लेने को कहा है। पीएमओ ने पूरे मामले में दखल देते हुए सूचना प्रसारण मंत्रालय से कहा कि फेक न्यूज को लेकर जारी की गई प्रेस रिलीज को वापस लिया जाना चाहिए। यह पूरा मसला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रेस संगठनों पर छोड़ देना चाहिए। पीएमओ ने कहा कि ऐसे मामलों में सिर्फ प्रेस काउंसिल को ही सुनवाई का अधिकार है।
बता दें कि फेक न्‍यूज पर लगाम कसने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से पत्रकारों के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए जिसके तहत कहा गया कि ऐसी खबरों के प्रकाशन पर उनकी प्रेस मान्‍यता रद कर दी जाएगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने भी ट्वीट कर कहा है कि यह बताना उचित होगा कि फेक न्यूज के मामले पीसीआई और एनबीए के द्वारा तय किए जाएंगे, दोनों एजेंसियां भारत सरकार के द्वारा रेगुलेट या ऑपरेट नहीं की जाती हैं।

loksabha election banner

जारी हुअा था ये दिशा निर्देश 
बता दें कि सोमवार को सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबरें करता हुआ या इनका दुष्प्रचार करते हुए पाया जाता है तो उसकी मान्यता स्थाई रूप से रद्द की जा सकती है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा था कि पत्रकारों की मान्यता के लिये संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार ऐसा करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जाएगी। दूसरी बार फेक न्यूज करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी। इसके अनुसार, तीसरी बार उल्लंघन करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता स्थाई रूप से रद्द कर दी जाएगी। मंत्रालय ने कहा कि अगर फर्जी खबर के मामले प्रिंट मीडिया से संबद्ध हैं तो इसकी कोई भी शिकायत भारतीय प्रेस परिषद( पीसीआई) को भेजी जाएगी।  

मीडिया पर रोक लोकतंत्र की हत्‍या
दिल्‍ली की पूर्व मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित ने फेक न्‍यूज की परिभाषा पूछते हुए कहा लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में मीडिया पर प्रतिबंध लगाना लोकतंत्र की हत्‍या जैसा है। आज हम केवल ऐसी खबरें देखते हैं जो सरकार समर्थित है। भारत स्‍वतंत्र मीडिया में विश्‍वास रखता है और यह जारी रहना चाहिए।

पीसीआइ और एनबीए लेंगी निर्णय

सोमवार को जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि प्रिंट व टेलीविजन मीडिया के लिए दो रेगुलेटरी संस्‍थाएं- प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और न्‍यूज ब्रॉडकास्‍टर्स एसोसिएशन (NBA), यह निश्‍चित करेगी कि खबर फेक है या नहीं। दोनों को यह जांच 15 दिन में पूरी करनी होगी। एक बार शिकायत दर्ज कर लिए जाने के बाद आरोपी पत्रकार की मान्यता जांच के दौरान भी निलंबित रहेगी।

मीडिया जगत में विरोध के सुर 

सरकार के इस कदम का विरोध मीडिया जगत में शुरू हो गया है। कुछ पत्रकारों का कहना है कि इसके जरिए मीडिया का गला घोंटने की कोशिश की जा रही है। यह सरकार का अलोकतांत्रिक कदम है।' स्मृति ईरानी ने यह साफ करने की कोशिश की है कि 'सरकार फेक न्यूज की जांच को रेगुलेट या ऑपरेट नहीं करेगी और इसके लिए जो नैतिक आचरण नियम तय किए जाएंगे, वे वही होंगे जो एनबीए और पीसीआई जैसी पत्रकारों की संस्थाओं के हैं।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.