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अब ऑनलाइन डाटा लीक के डर को ऐसे खत्म करेगी सरकार

साइबर सिक्योरिटी और डाटा की सुरक्षा को पुख्ता बनाने के लिए सरकार डाटा प्रोटेक्शन के लिए एक समग्र और व्यापक ढांचा तैयार कर रही है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 30 Dec 2017 09:06 AM (IST)Updated: Sat, 30 Dec 2017 09:42 AM (IST)
अब ऑनलाइन डाटा लीक के डर को ऐसे खत्म करेगी सरकार

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। साइबर सिक्योरिटी और डाटा की सुरक्षा को पुख्ता बनाने के लिए सरकार डाटा प्रोटेक्शन के लिए एक समग्र और व्यापक ढांचा तैयार कर रही है, जिसे कानून के जरिए लागू किया जाएगा। सरकार ने शुक्रवार को इस नीति से संबंधित एक श्वेत पत्र सार्वजनिक चर्चा के लिए जारी किया है। आम जनता समेत सभी संबंधित पक्षों से इस पर राय मांगी गई है। इस संबंध में विचार विमर्श की प्रक्रिया सरकार अगले महीने से शुरू करने जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डाटा प्रोटेक्शन पर नीति निर्धारण के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएन कृष्णा समिति की अध्यक्षता में इस साल अगस्त में एक समिति गठित की थी।

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समिति ने भविष्य में बनने वाले कानून के मद्देनजर डाटा प्रोटेक्शन की जरूरतों के आधार पर एक श्वेत पत्र तैयार किया है, जिसे सरकार ने सार्वजनिक बहस के लिए जारी किया है। सभी पक्षों से 31 जनवरी 2018 तक अपने सुझाव देने को कहा गया है। इसके बाद ही नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। श्वेत पत्र पर मायगॉव.इन पर जाकर ऑनलाइन सुझाव दिये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त सरकार चार प्रमुख शहरों में संबंधित पक्षों के साथ आमने-सामने बैठक कर भी डाटा प्रोटेक्शन के उपायों पर चर्चा करेगी।

कब और कहां होगी बैठक
पहली बैठक दिल्ली में पांच जनवरी को होगी जबकि 12 जनवरी को हैदराबाद, 13 जनवरी को बैंगलुरू और 23 जनवरी को मुंबई में होगी। दरअसल, डाटा प्रोटेक्शन का जो भी ढांचा तैयार होगा उससे आम जनता भी प्रभावित होगी। सुप्रीम कोर्ट गत 24 अगस्त को ही निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दे चुका है। आधार सहित सरकार की कई योजनाओं में जनता की निजी जानकारियां एकत्र की जा रही हैं। इतना ही नहीं इनकम टैक्स का रिटर्न भी ऑनलाइन दाखिल किया जा रहा है। इससे ऐसी सभी जानकारी के लीक होने का जोखिम भी बढ़ रहा है। समिति ने श्वेत पत्र में इन सभी मुद्दों का जिक्र किया है।

सरकार का उद्देश्य देश में डाटा प्रोटेक्शन का एक पूरा ढांचा तैयार करने का है। दुनिया भर में साइबर हमलों की बढ़ती घटनाओं से देश में डाटा चोरी की आशंकाएं भी बढ़ रही हैं। इसे ध्यान में रखते हुए समिति के श्वेत पत्र में भी डाटाबेस के केंद्रीकरण, लोगों की निजी जानकारी, व्यक्तिगत हितों और बढ़ती निगरानी को लेकर चिंता जताई गई है। साथ ही उन कंपनियों के खिलाफ दंड का सुझाव भी श्वेत पत्र में दिया गया है जो डाटा प्रोटेक्शन के नियमों का उल्लंघन करती हैं।

समिति का मानना है कि इस तरह के प्रावधानों के लिए मौजूदा आइटी अधिनियम नाकाफी है। इसलिए डाटा प्रोटेक्शन पर अलग से कानून बनाने की जरूरत समझी जा रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत में डाटा प्रोटेक्शन का कोई व्यापक तंत्र न होने को लेकर काफी चिंता जताई जा रही है। सरकार भी इस बात को लेकर गंभीर है। इसे देखते हुए ही सरकार ने इस काम को प्राथमिकता पर रखा है। राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन को भरोसा भी दिलाया कि सरकार जल्द ही डाटा प्रोटेक्शन के लिए एक समग्र कानून बनाने की तैयारी में है।

हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार इंटरनेट तक सभी की पहुंच को भी सुनिश्चित रखेगी। कृष्णा समिति का मानना है कि देश में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या 45 करोड़ को पार कर चुकी है और इसमें सालाना 7-8 फीसद की वृद्धि हो रही है। इतना ही नहीं समिति मानती है कि देश डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। इस दिशा में विश्व का नेतृत्व यदि करना है तो डाटा सुरक्षा के पुख्ता उपाय करने होंगे।

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