बंपर पैदावार, सरकार रोकेगी सस्ते गेहूं का आयात
दिसंबर में आयात शुल्क हटते ही 55 लाख टन सस्ता गेहूं घरेलू बंदरगाहों पर पहुंच गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गेहूं की बंपर पैदावार के अनुमान को देखते हुए सरकार जल्दी ही गेहूं के आयात पर रोक लगा सकती है। गेहूं के बढ़ते आयात से घरेलू बाजार पर विपरीत असर पड़ने की संभावना है। गेहूं पर 25 फीसद तक आयात शुल्क लगाये जाने की संभावना है। चालू सीजन में गेहूं की रिकॉर्ड 9.67 करोड़ टन पैदावार हो सकती है। दूसरी ओर दिसंबर में आयात शुल्क हटते ही 55 लाख टन सस्ता गेहूं घरेलू बंदरगाहों पर पहुंच गया है।
दरअसल, पिछले साल दिसंबर महीने में सरकार ने कीमतों के तेज होते देख गेहूं आयात से शुल्क हटा लिया था, ताकि घरेलू बाजार के स्टॉकिस्टों पर दबाव बन सके। इसका फायदा उठाते हुए दक्षिणी और पश्चिमी तटीय राज्यों के फ्लोर मिलें, बिस्कुट निर्माता और कंफेक्शनरी इकाइयों ने आस्ट्रेलिया से भारी मात्रा में गेहूं का आयात करना शुरु कर दिया।
नतीजा यह हुआ कि फरवरी के आखिरी सप्ताह तक देश के बंदरगाहों पर कुल 55 लाख टन तक गेहूं की खेप पहुंच गई। दूसरी ओर, रबी सीजन की फसलों के शानदार होने और गेहूं की बंपर फसल की संभावना है। आयातकों की इस सक्रियता को देखते हुए सरकारी एजेंसियों के कान खड़े हो गये हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक मंडियों में अगले महीने तक गेहूं की आवक शुरु होने की संभावना को देखते हुए आयात रोकने के पुख्ता उपाय किये जाएंगे।
चालू रबी सीजन के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1625 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसके मुकाबले आयातित गेहूं गुजरात के कांधला बंदरगाह पर पहुंचकर 1525 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रहा है, जो समर्थन मूल्य से कम है। इससे आने वाले दिनों में घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों के धराशायी होने की आशंका पैदा हो गई है। सरकार ने इसे रोकने के प्रयास शुरु कर दिये हैं। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक आयात शुल्क लगातार विलायती गेहूं पर रोक लगाई जा सकती है।