केंद्र का आग्रह, सरकारी काम में दलित शब्द का ना करें इस्तेमाल
केंद्र के अनुसार, संविधान में कहीं भी दलित शब्द का उल्लेख नहीं है। इसके लिए उसने मप्र हाई कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। अनुसूचित जातियों के पर्याय बने दलित शब्द की सरकारी दस्तावेजों से जल्द विदाई होने वाली है। केंद्र ने राज्यों और अपने अधीनस्थ विभागों से आग्रह किया है कि वे सरकारी कामकाज में अनुसूचित जातियों के लोगों के लिए दलित शब्द का इस्तेमाल करना बंद करें। उसने इसकी जगह संवैधानिक शब्दावली अंग्रेजी में शेड्यूल्ड कास्ट (एससी), हिंदी में अनुसूचित जाति और अन्य राजभाषाओं में इसका उपयुक्त अनुवाद इस्तेमाल करने की सलाह दी है। केंद्र के अनुसार, संविधान में कहीं भी दलित शब्द का उल्लेख नहीं है। इसके लिए उसने मप्र हाई कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया है।
भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इसको लेकर 15 मार्च को राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजा है। इसके अनुसार, 'सभी राज्य सरकारों व केंद्र शासित क्षेत्रों के प्रशासन से आग्रह किया जाता है कि वे संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचित अनुसूचित जाति के लोगों के लिए केवल संवैधानिक शब्दावली अंग्रेजी में शेड्यूल्ड कास्ट या हिंदी सहित अन्य राजभाषाओं में इसके उपयुक्त अनुवाद का ही प्रयोग करें।'
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अपने परिपत्र में गृह मंत्रालय के 10 फरवरी, 1982 के एक आदेश का भी उल्लेख किया है। सभी राज्यों को जारी उस पुराने आदेश में अनुसूचित जाति के लिए 'हरिजन' शब्द का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया गया था। उस समय अधिकारियों से कहा गया था कि वे अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करते समय हरिजन शब्द का प्रयोग नहीं करें। इसके स्थान पर अनुसूचित जाति के तहत राष्ट्रपति आदेश द्वारा अधिसूचित उसकी जाति का ही प्रमाण पत्र में उल्लेख किया जाए।
अपने पत्र में सामाजिक न्याय मंत्रालय ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक फैसले का भी जिक्र किया है। 15 जनवरी के अपने फैसले में हाई कोर्ट ने आदेश दिया, 'केंद्र और राज्य सरकारें अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के लिए दलित शब्दावली का इस्तेमाल नहीं करेंगी। क्योंकि भारत के संविधान में इसका कहीं जिक्र नहीं है।'