कोरोना संकट को देख सरकार ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर और कड़े किए प्रतिबंध
देश में कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए सरकार ने ड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर प्रतिबंध और कड़े कर दिए हैं। जानिए सरकार के इस आदेश के पीछे की वजह...
नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार ने मलेरिया के इलाज में काम आने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। सरकार कोरोना संकट से निपटने में इस दवा की कमी नहीं होने देना चाहती है। इसीलिए उसने अब स्पेशल इकोनॉमिक जोन यानी एसईजेड से उत्पादित हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं। इससे पहले एसईजेड के उत्पादों और शिपमेंट के लिए अग्रिम राशि स्वीकार कर लिए जाने के मामलों में ही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात की इजाजत थी। सरकार ने विदेश मंत्रालय की अनुशंसा पर वाले शिपमेंट को भी निर्यात प्रतिबंध से मुक्त रखा था।
दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया है कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि जितनी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का ऑर्डर अमेरिका दे चुका है, कम से कम उसकी आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए। ट्रंप का कहना था कि मोदी ने इस पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है। गौरतलब है कि सरकार ने पिछले महीने ही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
ट्रंप ने बताया कि उन्होंने शनिवार की सुबह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की। हमने उनसे मलेरिया के इलाज में काम आने वाली दवा हाइड्राक्सीक्लोरोक्विन दवा का निर्यात खोलने का आग्रह किया। ट्रंप ने शनिवार को व्हाइट में नियमित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भारत में यह दवा बड़े पैमाने पर बनती है। यह दवा काफी सस्ती है और कोरोना के इलाज में भी कारगर है। मेरे आग्रह पर भारत गंभीरता से विचार कर रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यदि भारत अमेरिका को इस दवा की आपूर्ति करता है तो वे अहसानमंद रहेंगे। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि अमेरिकी कंपनियों ने भारत को कितनी मात्रा का आर्डर दिया है। करीब आठ हजार लोगों की मौत और तीन लाख से अधिक लोगों के चपेट में होने से अमेरिका कोरोना से गंभीर रूप से पीडि़त देशों की सूची में शीर्ष पर पहुंच गया है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने कोरोना के इलाज में हाइड्रक्सीक्लोरोक्विन दवा के इस्तेमाल की छूट दे रखी है। भारत में यह दवा कोरोना के पुष्ट व संदिग्ध दोनों तरह के मरीजों को दी जा रही है। दुनिया भर में अब तक करीब 64,000 लोगों की जान लेने और 12 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित करने वाली इस बीमारी का इलाज ढूंढ़ने में आज दुनिया भर के वैज्ञानिक जुटे हैं।
ट्रंप प्रशासन कोरोना के इलाज में हाइड्राक्सीक्लोरोक्विन दवा को ही सबसे ज्यादा प्रभावी मान रहा है। अमेरिका की नियामक संस्था फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कोरोना के इलाज में हाइड्राक्सीक्लोरोक्विन व इसके साथ कुछ और दवाओं के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। न्यूयार्क के अस्पतालों में भर्ती 1500 मरीजों को यही दवा दी जा रही है। ट्रंप ने कहा कि इस दवा के अच्छे संकेत मिल रहे हैं। अगर परिणाम सफल रहे तो हम लोगों के लिए ईश्वर की वरदान होगी।