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गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए बड़े निजी अस्पतालों को मनाने में जुटी सरकार

अब सरकार ने बड़े निजी अस्पतालों को वास्तविक लागत का मूल्यांकन करने के लिए कमेटी गठित करने का भरोसा दिया है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 09:32 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 09:32 PM (IST)
गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए बड़े निजी अस्पतालों को मनाने में जुटी सरकार

नीलू रंजन, नई दिल्ली। गरीब परिवारों को मुफ्त और कैशलेस चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए सरकार बड़े निजी अस्पतालों को मनाने में जुटी है। अभी तक अधिकांश बड़े निजी अस्पताल इलाज की कम कीमत को लेकर आयुष्मान भारत से जुड़ने से परहेज करते रहे हैं। उनका कहना है कि इस योजना में इलाज पर आने पर वास्तविक लागत से कम भुगतान का प्रावधान है। अब सरकार ने बड़े निजी अस्पतालों को वास्तविक लागत का मूल्यांकन करने के लिए कमेटी गठित करने का भरोसा दिया है।

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने 10.74 करोड़ गरीब परिवारों को सालाना पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की महात्वाकांक्षी योजना को 25 सितंबर से शुरू करने का ऐलान किया है। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। लगभग 10 हजार से अधिक निजी अस्पताल इस योजना से जुड़ भी गए हैं। लेकिन समस्या यह है कि योजना से जुड़ने वाले अधिकांश निजी अस्पताल मंझौले और छोटे श्रेणी के हैं। इन अस्पतालों में जटिल व बड़ी बीमारियों का इलाज संभव नहीं है। ऐसी सुविधाएं सिर्फ बड़े निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं। लेकिन इलाज की लागत से कम भुगतान को देखते हुए बड़े निजी अस्पताल इस योजना से अभी तक नहीं जुड़े हैं। बड़े निजी अस्पतालों को मनाने के लिए पिछले हफ्ते आयुष्मान भारत के सीईओ इंदु भूषण ने एसोशिएशन आफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के अध्यक्ष डाक्टर गिरिधर ज्ञानी से मुलाकात की।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार डा. गिरिधर ज्ञानी ने साफ कर दिया है कि इतने कम भुगतान में बड़े अस्पतालों के लिए मरीज का इलाज करना संभव नहीं होगा। बताया जाता है कि इंदु भूषण ने उन्हें अगले से भुगतान को नए सिरे से निर्धारित किया जाएगा। तब तक बड़े निजी अस्पतालों को योजना से जुड़ जाना चाहिए। लेकिन बड़े निजी अस्पतालों की ओर डा. गिरिधर ज्ञानी ने इसके लिए अभी कमेटी बनाने की मांग की। सूत्रों के अनुसार सरकार कमेटी बनाने के लिए राजी हो गई है। प्रस्तावित कमेटी में सरकार के साथ-साथ बड़े निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा।

डा. गिरिधर ज्ञानी ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कहा कि गरीबों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने की योजना एक अच्छी मंशा से शुरू की जा रही है और बड़े निजी अस्पताल भी इसमें अपना योगदान देना चाहते हैं। इस योजना से उन्हें लाभ कमाने की कोई मंशा नहीं है। लेकिन सरकार को इलाज पर आने वाली वास्तविक लागत का तो ख्याल रखना ही होगा।


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