छापेमारी के बाद पीएफआइ पर प्रतिबंध लगा सकती है सरकार, सीएए विरोधी आंदोलन और दिल्ली दंगे को लेकर भी है आरोप
पीएफआइ के खिलाफ देशभर में छापेमारी के बाद इस पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना बढ़ गई है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले काफी समय से पीएफआइ हिंसक और आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। पीएफआइ पर विभिन्न एजेंसियों की निगाह में काफी समय से है।
नई दिल्ली, प्रेट्र: पीएफआइ के खिलाफ देशभर में छापेमारी के बाद इस पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना बढ़ गई है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले काफी समय से पीएफआइ हिंसक और आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। लव जिहाद की घटनाओं, जबरन मतांतरण, सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों में अपनी भूमिका, मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, मनी लांड्रिंग एवं प्रतिबंधित समूहों से संपर्क को लेकर यह संगठन विभिन्न एजेंसियों की निगाह में काफी समय से है।
प्रतिबंधित संगठन से हैं पीएफआइ के संबंध
सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि पीएफआइ के कई कार्यकर्ताओं के संबंध प्रतिबंधित संगठन सिमी से हैं। एनआइए ने गुरुवार को कहा कि पीएफआइ के हिंसक कृत्यों से लोगों के मन में बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। पीएफआइ द्वारा कथित रूप से एक कालेज प्रोफेसर का हाथ काटने और अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े व्यक्तियों की निर्मम हत्या जैसी घटनाओं से नागरिकों के मन में 'आतंकवाद' का बुरा प्रभाव उत्पन्न होता है।
पीएफआइ पर लगातार नजर बनाए था ईडी
एजेंसी ने एक बयान में कहा, पीएफआइ की गतिविधियों में प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक को एकत्रित करना, इस्लामिक स्टेट को समर्थन और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना शामिल है। लोग इनसे आतंकित होते हैं। पीएफआइ के खिलाफ छापेमारी के दौरान कुछ स्थानों पर मुस्लिम युवाओं ने 'एनआइए वापस जाओ' के नारे लगाए। कुछ स्थानों पर उन्होंने छापेमारी में बाधा डालने का भी प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने हिरासत में लेकर उनके प्रयासों को विफल कर दिया। सीएए विरोधी आंदोलनों और 2020 में दिल्ली दंगा भड़काने के आरोपों लेकर ईडी पहले से पीएफआइ के आर्थिक संपर्कों की जांच कर रही है।