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यूरोपीय यूनियन की शर्तो पर एफटीए को तैयार नहीं भारत

यूरोपीय यूनियन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता तमाम कोशिशों के बावजूद परवान नहीं चढ़ पा रहा है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 12 Apr 2016 08:50 PM (IST)Updated: Tue, 12 Apr 2016 08:59 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूरोपीय यूनियन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता तमाम कोशिशों के बावजूद परवान नहीं चढ़ पा रहा है। कुछ मुद्दों पर ईयू के अड़ियल रवैये के चलते दोनों पक्षों के बीच बात नहीं बन पा रही है। सरकार भारतीय हितों को सर्वोपरि मानते हुए इन मुद्दों पर झुकने को तैयार नहीं है।

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ब्रसेल्स में अटकी वार्ता

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रसेल्स यात्रा के दौरान भी दोनों पक्षों में एफटीए पर वार्ता आगे बढ़ाने और एक सहमति पर पहुंचने को लेकर बातचीत हुई। लेकिन सूत्र बताते हैं कि यूरोपीय यूनियन डाटा सिक्योरिटी और कृषि व डेयरी उत्पादों की भारतीय बाजार में पहुंच आसान बनाने की मांग को लेकर बातचीत अटकी हुई है। ईयू भारत से जाने वाले आइटी इंजीनियरों के वेतन की न्यूनतम सीमा को बढ़वाना चाहता है। साथ ही उसकी मांग है कि अनाज और डेयरी उत्पादों के आयात पर भारत में लगी सीमाओं को हटा दिया जाए।

ईयू की मांग भारत को अस्वीकार

वाणिज्य मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि इन दोनों ही मामलों पर राजी होना भारतीय हित में नहीं है। ईयू में काम करने जाने वाले आइटी उद्योग के लोगों के लिए 40 हजार पाउंड का न्यूनतम वेतन करने का दबाव यूरोपीय संघ बना रहा है। इसके लिए वह चाहता है कि भारत अपने श्रम कानूनों में उपयुक्त बदलाव करे। जबकि वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा होने से भारतीय कंपनियों के प्रोजेक्टों की लागत बढ़ जाएगी और वे प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाएंगे।

दूसरी तरफ यूरोपीय यूनियन से अनाज और डेयरी उत्पादों का आयात खोलने का मतलब होगा कि घरेलू बाजार में आयातित उत्पादों की भरमार और कीमतों में कमी। घरेलू बाजार में इससे असंतुलन पैदा हो जाएगा। इससे भारतीय किसान प्रभावित होंगे। अधिकारियों का मानना है कि अनाज के आयात पर भी इस तरह का फैसला नहीं लिया जा सकता।

सरकार के लिए एफटीए अहम

बीते कई वर्षो से भारत यूरोपीय यूनियन से एफटीए करने का प्रयास कर रहा है। लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिली है। मौजूदा वाणिज्य व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण के मोदी सरकार में पद भार संभालने के बाद इस मुद्दे पर विशेष तवज्जो दी जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की ब्रसेल्स यात्रा के दौरान भी सीतारमण वहां मौजूद रहीं।

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