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टीके की जरूरत का हिसाब लगाने में जुटी सरकार, 15 से 20 फीसद लोग कोरोना रोधी वैक्सीन लेने से कर सकते हैं परहेज

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो आंकड़े आ रहे हैं उसके अनुसार 15-20 फीसद लोग टीका लगवाने से बच रहे हैं। जाहिर है संपूर्ण टीकाकरण के लिए पूर्व निर्धारित लक्ष्य से कम टीकों की जरूरत पड़ेगी। वहीं बच्चों के टीकाकरण की स्थिति में लगभग 80 करोड़ से अधिक डोज की जरूरत पड़ेगी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 08:31 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 10:55 PM (IST)
टीके की जरूरत का हिसाब लगाने में जुटी सरकार, 15 से 20 फीसद लोग कोरोना रोधी वैक्सीन लेने से कर सकते हैं परहेज
31 दिसंबर तक सभी वयस्कों को टीका लगाने का लक्ष्य

नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोरोना टीकाकरण के 100 करोड़ डोज के करीब पहुंचने के साथ ही सरकार अब आगे इसकी वास्तविक जरूरत का हिसाब लगाने में जुट गई है। सरकार ने सभी वयस्क नागरिकों के 31 दिसंबर तक संपूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य जरूर रखा है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि शायद ही इस समूह के सभी लोग टीका लगवाने के लिए सामने आएं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो आंकड़े आ रहे हैं उसके अनुसार 15-20 फीसद लोग टीका लगवाने से बच रहे हैं। जाहिर है संपूर्ण टीकाकरण के लिए पूर्व निर्धारित लक्ष्य से कम टीकों की जरूरत पड़ेगी। वहीं बच्चों के टीकाकरण की स्थिति में लगभग 80 करोड़ से अधिक डोज की जरूरत पड़ेगी।

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दरअसल, देश में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या लगभग 94 करोड़ है और इसके लिए 188 करोड़ डोज की जरूरत है। इन सभी लोगों को 31 दिसंबर तक टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 31 दिसंबर तक वैक्सीन की इतनी डोज के उत्पादन का लक्ष्य भी पूरा कर लिया जाएगा। अगर 15-20 फीसद लोग टीका लगवाने नहीं आते हैं तो लगभग 150 करोड़ डोज की जरूरत रह जाएगी। ऐसी स्थिति में दिसंबर के अंत तक लगभग 30-35 करोड़ डोज अतिरिक्त बच जाएगी।

अधिकारी ने कहा कि इस अतिरिक्त डोज के इस्तेमाल के बारे में कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इसमें सबसे प्रमुख विकल्प बच्चों के टीकाकरण का है। दवा नियामक की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) दो से 18 साल तक के बच्चों के टीकाकरण के लिए कोवैक्सीन को मंजूरी देने की सिफारिश कर चुकी है। अब इस पर भारत के दवा महानियंत्रक यानी डीसीजीआइ की मुहर लगने का इंतजार है। वहीं 12 साल से 18 के किशोरों के लिए जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी को हरी झंडी मिल चुकी है। अधिकारी के मुताबिक अगर डीसीजीआइ से सभी बच्चों के टीकाकरण की मिल जाती है तो अतिरिक्त डोज का इस्तेमाल बच्चों के टीकाकरण में किया जाएगा। देश में 18 साल से कम उम्र के बच्चों की आबादी लगभग 40 करोड़ मानी जाती है, जिनके लिए 80 करोड़ डोज की जरूरत पड़ेगी।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के संपूर्ण टीकाकरण की जरूरत ही नहीं और इसे केवल गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों तक सीमित रखना चाहिए। ऐसी स्थिति में देश के भीतर कम डोज की जरूरत रह जाएगी। इसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने साफ कर दिया है कि 31 दिसंबर तक देश में डोज की उपलब्धता को देखते हुए टीके के दूसरे देशों को निर्यात का फैसला किया जाएगा। अभी हाल में ही कुछ देशों को टीके का निर्यात किया गया है, लेकिन वह वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत हुआ है।

दूसरी डोज देने को लेकर शुरू होगा अभियान

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार का पहला लक्ष्य 100 करोड़ डोज लगाने का है, जिसे बुधवार या गुरूवार तक पूरा कर लिया जाएगा। उसके बाद दूसरी डोज लगाने के लिए अभियान शुरू किया जाएगा। वैसे तो पहली और दूसरी डोज के बीच अंतर के हिसाब से यह प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से पूरी होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है, जो तय समय सीमा बीत जाने के बावजूद दूसरी डोज के लिए नहीं आ रहे हैं। कोविन प्लेटफार्म से ऐसे लोगों की सूची राज्य सरकारों को दी रही है, ताकि उनसे संपर्क कर दूसरी डोज के लिए तैयार किया जा सके।


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