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निजी क्रिप्टो मुद्राओं को नियंत्रित करने और रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल मुद्रा जारी करने की सरकार की मंशा

क्रिप्टो मुद्राओं में निहित तकनीक को प्रोत्साहन के लिए कुछ छूट देने की तैयारी की भी बात कही जा रही है। इसके साथ ही क्रिप्टो व्यवसाय में लगे लोगों में खलबली मच गई है कि आखिर हमारे देश में क्रिप्टो का भविष्य क्या होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 17 Dec 2021 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 17 Dec 2021 10:46 AM (IST)
निजी क्रिप्टो मुद्राओं को नियंत्रित करने और रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल मुद्रा जारी करने की सरकार की मंशा
डिजिटल मुद्रा पर सरकारी नियंत्रण की बात। प्रतीकात्मक

रघुवीर चारण। वर्तमान सदी में समूचा विश्व आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है। इस दौर में अधिकांश कार्य व्यवहार को डिजिटल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस डिजिटल दौर में लगभग एक दशक पहले क्रिप्टोकरेंसी का आगमन हुआ और बहुत कम समय में इसने विश्व में कमोबेश हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है।

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हमारा देश भी इससे अछूता नहीं रहा, बल्कि अनेक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि हमारे देश में लोग बढ़-चढ़कर इसका उपयोग कर रहे हैं। हालांकि भारत में इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या को लेकर काफी संशय की स्थिति है, फिर भी इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि यहां भी इनकी संख्या एक करोड़ से अधिक ही होगी। कम समय में अधिक धन अर्जित करने के रूप में इस मुद्रा को समङो जाने के कारण इसके प्रति लोगों में जबरदस्त आकर्षण बढ़ रहा है। इसके लेनदेन में शामिल 62 प्रतिशत निवेशकों की औसत आयु 24 वर्ष है, जो इस बात का संकेतक है कि युवा इस ओर सर्वाधिक आकर्षित हो रहे हैं।

क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल कैश सिस्टम है, जो कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है। यह केवल डिजिट के रूप में आनलाइन रहती है। इस पर किसी भी देश या सरकार का नियंत्रण नहीं है। इस मुद्रा को रेगुलेट करने के लिए केंद्र सरकार एक संबंधित विधेयक संसद में लाने की तैयारी में है। इस विधेयक की मदद से भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी आधिकारिक डिजिटल करेंसी जारी करने के लिए सुविधाजनक फ्रेमवर्क मिलेगा। इस विधेयक से हमें यह भी समझने में मदद मिल सकती है कि अर्थव्यवस्था में डिजिटल करेंसी की किस तरह से महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

पिछले कुछ वर्षो में यह देखा गया है कि इसमें निवेश करने वालों को कम समय में ज्यादा रिटर्न मिला है, लिहाजा निवेशकों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2019 में एक बिटक्वाइन का मूल्य लगभग चार लाख रुपये था जो जून 2020 में बढ़कर 16 लाख तक पहुंच गया। जबकि आज एक बिटक्वाइन की कीमत लगभग 37 लाख है।

समझा जा सकता है कि इस आभासी मुद्रा ने कितने कम समय में कितनी अधिक ऊंचाई हासिल कर ली है। बिटक्वाइन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण ही बीते दिनों कई देशों ने इसे वैधता प्रदान कर दी है। क्रिप्टोकरेंसी को भरोसे के संकट का सामना भी करना पड़ रहा है। सरकारें इसे शक की निगाहों से देखती हैं और इसे पारंपरिक मुद्रा के लिए खतरा मानती हैं। सरकारों को यह भी लगता है कि क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी वचरुअल दुनिया का हिस्सा है जो सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने की कोशिश कर रही है। भारत सरकार जल्द ही इसे नियंत्रित करने की तैयारी में है जो बहुत ही अच्छा निर्णय है।

बिटक्वाइन और अन्य डिजिटल मुद्राओं का आम तौर पर सट्टेबाजी और अपराध में अधिक उपयोग होता है, जो सरकार और समाज के लिए बहुत ही खतरनाक है। इसलिए इस डिजिटल मुद्रा पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। साथ ही सरकार को ऐसी क्रिप्टो करेंसी लानी चाहिए जो पारदर्शी हो और जिसका नियंत्रण सरकार के अधीन हो। साथ ही इसकी पहचान की जा सके और इसका दुरुपयोग न हो सके।

(लेखक विज्ञान के छात्र हैं)


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