केंद्र ने बदला नियम, कोरोना इलाज के लिए दो लाख से अधिक नकद भुगतान की सशर्त इजाजत
टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार के इस फैसले के कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। आयकर विशेषज्ञ एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) मनीष गुप्ता ने बताया कि इसका तत्काल लाभ यह मिलेगा कि निजी अस्पताल नकद पैसा मिलते ही इलाज शुरू कर देंगे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भुगतान की वजह से कोरोना के इलाज में होने वाली दिक्कत दूर करने के लिए सरकार ने आयकर नियमों में छूट दी है। नए नियम के तहत कोरोना का इलाज करने वाले अस्पताल, डिस्पेंसरी, नर्सिंग होम या कोई अन्य कोरोना सेंटर दो लाख या इससे अधिक राशि का भुगतान नकद ले सकेंगे। लेकिन दो लाख या इससे अधिक के नकद भुगतान पर मरीज का पैन कार्ड या आधार कार्ड के साथ भुगतान में मदद करने वाले व्यक्ति के पैन या आधार कार्ड का पूरा विवरण देना होगा। वहीं, अस्पताल को यह जानकारी भी जुटानी होगी कि मदद करने वाले व्यक्ति का कोरोना पीड़ित के साथ क्या संबंध है। हालांकि दो लाख या इससे अधिक नकद भुगतान की यह सुविधा 31 मई, 2021 तक के लिए दी गई है। इस नियम को एक अप्रैल से प्रभावी माना गया है।
टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक, सरकार के इस फैसले के कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। आयकर विशेषज्ञ एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) मनीष गुप्ता ने बताया कि इसका तत्काल लाभ यह मिलेगा कि निजी अस्पताल नकद पैसा मिलते ही इलाज शुरू कर देंगे।
निजी अस्पताल भुगतान में देरी पर इलाज शुरू करने में कोताही करते हैं। जबकि इसका नुकसान यह होगा कि किसी के इलाज के लिए नकद राशि के रूप में मदद देने से लोग परहेज करेंगे क्योंकि उनके मन में आने वाले समय में आयकर विभाग से पूछताछ की आशंका पैदा हो सकती है। कई बार इलाज के लिए एक ही मरीज को कई लोग मदद करते हैं, ऐसे में सभी लोगों का पैन या आधार विवरण जुटाना मरीज के लिए संभव नहीं होगा। भारत जैसे देश में कई लोग चुपचाप या बिना सामने आए मदद करना चाहते हैं, वे लोग मरीज की मदद करने में हिचकिचाएंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक, सरकार मदद करने वाले का पैन या आधार नंबर इसलिए लेना चाहती है ताकि कोरोना इलाज के नाम पर कालेधन का इस्तेमाल न शुरू हो जाए। आयकर के वर्तमान नियमों के मुताबिक एक बार में दो लाख या इससे अधिक राशि नकद में नहीं ली जा सकती।