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देश में हर तीन दिन में एक बाघ हुआ कम, 29 को शिकारियों ने बनाया निशाना; लोकसभा में सरकार ने दी जानकारी

तीन वर्ष में 329 बाघों की देश में मौत हुई है। हर तीन दिन में एक बाघ कम रहो रहा है शिकारियों ने 29 को बनाया निशाना है। लोकसभा में पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने इसका रिकार्ड दिया है।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2022 04:42 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2022 04:42 PM (IST)
देश में हर तीन दिन में एक बाघ हुआ कम, 29 को शिकारियों ने बनाया निशाना; लोकसभा में सरकार ने दी जानकारी
केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दी जानकारी।

नई दिल्ली, एजेंसी। देश में पिछले तीन सालों में सौंकड़ों बाघों की मौत की बात सामने आई है। इन सभी बाघों की मौत प्राकृतिक व अप्राकृतिक कारणों से हुई है। केंद्र सरकार ने बताया कि भारत में पिछले तीन साल में 329 बाघों की मौत शिकार, प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से हो गयी है। सरकार ने यह भी कहा कि इसी अवधि में शिकार, बिजली का करंट लगने और जहरीले चीजें खाने से से 307 हाथियों की मौत हो गयी।

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अश्विनी कुमार चौबे ने संसद में दी जानकारी

यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने सोमवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में 96 बाघों की मौत हुई है, वहीं 2020 में 106 तथा वर्ष 2021 में 127 बाघ मरे हैं। चौबे के अनुसार इनमें से 68 बाघ प्राकृतिक कारणों से जबकि पांच अप्राकृतिक कारणों से और 29 बाघ शिकारियों के हमलों में मारे गये हैं।

शिकार के मामले घटे

मंत्री ने संसद में जवाब देते हुए यह भी बताया कि शिकार के मामलों की संख्या में अब कमी आई है। पहले 2019 में 17 बाघों की हत्या की गई थी जो वर्ष 2021 में घटकर चार रह गयी। आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में बाघों के हमलों में 125 लोग मारे गये जिनमें 61 महाराष्ट्र में और 25 उत्तर प्रदेश में मारे गये। चौबे ने कहा कि पिछले तीन साल में देश में 222 हाथियों की मौत हो गयी जिनमें ओडिशा में 41, तमिलनाडु में 34 और असम में 33 हाथी मारे गये।

हाथियों की मौत की यह रही वजह

संसद में दिए जवाब में मंत्री ने बताया कि 45 हाथियों की मौत ट्रेन दुर्घटनाओं में हुई है जिनमें 12 ओडिशा में और 11 पश्चिम बंगाल में मृत मिले हैं। आंकड़ों के अनुसार 29 हाथियों की मौत शिकार की वजह से हुई जिनमें मेघालय में 12 और ओडिशा में 7 हाथी मारे गये, वहीं इस अवधि में 11 हाथी जहरीले पदार्थ का सेवन करने की वजह से मारे गये और इनमें नौ मामले असम के थे।


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