Move to Jagran APP

गोरखपुर की आयशा बनीं एक दिन की ब्रिटिश उच्चायुक्त, प्रतिभा और हौसले से सबको किया चकित

गोरखपुर शहर के शिवपुर शहबाजगंज की रहने वाली आयशा कहती हैं कि केवल महानगरों की नहीं बल्कि छोटे शहरों और कस्बों की लड़कियों में भी बड़े मुकाम छूने का जज्बा और क्षमता है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 10:09 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 10:09 PM (IST)
गोरखपुर की आयशा बनीं एक दिन की ब्रिटिश उच्चायुक्त, प्रतिभा और हौसले से सबको किया चकित
गोरखपुर की आयशा बनीं एक दिन की ब्रिटिश उच्चायुक्त, प्रतिभा और हौसले से सबको किया चकित

नई दिल्ली, संजय मिश्र। जब एक दिन के लिए भारत में ब्रिटेन की उच्चायुक्त बनीं गोरखपुर की आयशा खान ने हाईकमीशन के आला अधिकारियों से उनके कामकाज को लेकर कुरदते सवाल दागने शुरू किए तो भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त सर डोमिनिक एसक्वीथ भी हैरत में पड़ गए। दुनिया और जिंदगी के सरकारों को लेकर शायद उसकी जागरूकता और संजीदगी ही यह वजह रही कि आयशा ने महानगरीय पृष्ठभूमि की लड़कियों को मात देते हुए एक दिन के लिए ब्रिटिश उच्चायुक्त बनने की प्रतिस्पर्धा में बाजी मारी।

loksabha election banner

ब्रिटेन की एक दिन की उच्चायुक्त बनीं आयशा ने ब्रिटिश उच्चायुक्त के सरकारी निवास पर दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि यह कामयाबी वाकई सपने के सच होने जैसा है। गोरखपुर शहर के शिवपुर शहबाजगंज की रहने वाली आयशा कहती हैं कि केवल महानगरों की नहीं बल्कि छोटे शहरों और कस्बों की लड़कियों में भी बड़े मुकाम छूने का जज्बा और क्षमता है। इन लड़कियों को तलाश है तो बस मौके की जो उन्हें अभी कम मिल पाते हैं।

दादा ने किया प्रोत्साहित

आयशा इस लिहाज से खुद को काफी खुशकिस्मत मानती हैं कि गोरखपुर जैसे शहर की पृष्ठभूमि में भी उनके माता-पिता ने पढ़ाई लिखाई की पूरी सुविधा और आजादी दी। खासकर उनके दादा ने बेहद प्रोत्साहित किया और इसीलिए परिवार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के खालसा कालेज में पढ़ने के लिए भेजने में हिचक नहीं दिखाई। आयशा कहती हैं कि उन्हें तो भरोसा ही नहीं था कि इतने बड़े स्तर की प्रतिस्पर्धा में उनके लिए कोई जगह भी होगी। मगर इसके नतीजों के बाद वे छोटे शहरों और गांव-कस्बों की लड़कियों से यही कहेंगी कि अपने लक्ष्य की ओर वे हौसले के साथ बढ़ेंगी तो कामयाबी की मंजिल आएगी ही।

कठिन चयन प्रक्रिया को पार कर हासिल की कामयाबी 

ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक ने आयशा की प्रतिभा की तारीफ करते हुए कहा कि एक दिन की ब्रिटिश उच्चायुक्त की यह पहल काफी प्रतिस्पर्धी हो गई है। पिछले साल से तीन गुने अधिक प्रतिभागियों के बीच सघन और कठिन चयन प्रक्रिया को पार कर आयशा ने कामयाबी हासिल की। जो यह दर्शाता है कि भारत के छोटे शहरों व कस्बों की लड़कियों में भी प्रतिभाएं भरी पड़ी हैं।

वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक से दिन का आगाज 

एक दिन की उच्चायुक्त के तौर पर आयशा ने दूतावास के सारे वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक से दिन का आगाज किया और उनके साथ काम करना बेहद अच्छा व दिलचस्प अनुभव रहा। कई ज्वलंत मुद्दों जैसे शिक्षा, लैंगिक समानता पर आयशा ने बेहद प्रभावी बातें की और उसकी शैली ने भी सबका मन मोहा।

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर ब्रिटिश उच्चायोग 18 से 23 साल की लड़कियों के लिए एक दिन का ब्रिटिश उच्चायुक्त बनने की प्रतिस्पर्धा आयोजित करता है। इसकी विजेता को बकायदा उच्चायोग में पूरे दिन हाई कमिश्नर की कुर्सी पर बिठाने से लेकर उसके काम को अंजाम देने का मौका दिया जाता है। आयशा को भी 4 अक्टूबर को एक दिन के लिए उच्चायुक्त बनने का मौका मिला तो उन्होंने उच्चायोग के अंदर बैठकें करने के बाद कुछ बाहरी समारोहों में भी शिरकत की। अभी पत्रकारिता में मास्टर डिग्री कर रहीं आयशा अध्यापन या कानून के क्षेत्र में अपना मुकाम बनाना चाहती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.