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एफआइआर दर्ज न करने के लिए गोवा के इंस्पेक्टर को अनोखी सजा

पणजी। अपने ऐतिहासिक आदेश में गोवा राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण [जीएसपीसीए] ने एक पुलिस इंस्पेक्टर को हिरासत में मौत के मामले की एफआइआर दर्ज करने से इन्कार करने की अनोखी सजा सुनाई है। जीएसपीसीए ने इंस्पेक्टर को राज्य की दस ग्राम पंचायतों में सामाजिक सेवा करने का आदेश दिया है।

By Edited By: Published: Thu, 08 Aug 2013 05:04 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2013 05:05 PM (IST)

पणजी। अपने ऐतिहासिक आदेश में गोवा राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण [जीएसपीसीए] ने एक पुलिस इंस्पेक्टर को हिरासत में मौत के मामले की एफआइआर दर्ज करने से इन्कार करने की अनोखी सजा सुनाई है। जीएसपीसीए ने इंस्पेक्टर को राज्य की दस ग्राम पंचायतों में सामाजिक सेवा करने का आदेश दिया है।

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विश्वेश कारपे ने 15 जनवरी, 2011 को एनआरआइ सिप्रीयानो फर्नाडीज की हिरासत में मौत के मामले की एफआइआर दर्ज करने से इन्कार कर दिया था। फर्नाडीज को गोवा पुलिस ने एक महिला पर हमला करने की कोशिश के दौरान गिरफ्तार किया था। कथित तौर पर पुलिस लॉकअप में उस पर अत्याचार किया गया। मामले की जांच को लेकर उस समय कई पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था।

फर्नाडीज को गोवा मेडिकल कॉलेज ने मृत घोषित किया था, जो अगासेम पुलिस स्टेशन क्षेत्र के अंतर्गत आता है, उस समय कारपे उसके प्रमुख थे। मानवाधिकार कार्यकर्ता जोवेट डिसूजा ने मामले की शिकायत जीएसपीसीए में कराई और ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

जीएसपीसीए के अध्यक्ष आरएमएस खांडेपारकर ने कारपे को अपनी पसंद की दस ग्राम पंचायतों के सदस्यों को शिक्षित करने के रूप में सामाजिक सेवा करने का आदेश दिया है। साथ ही शर्त रखी कि हर ग्राम पंचायत अलग तालुका से होनी चाहिए। इनमें पांच उत्तर और बाकी दक्षिण जिलों से होनी चाहिए। पुलिस इंस्पेक्टर को यह सामाजिक सेवा तब करनी होगी जब वह ड्यूटी पर नहीं होंगे। इस आदेश के प्रतिपालन की जिम्मेदारी पुलिस महानिरीक्षक की होगी। आदेश में कहा गया है कि इस सेवा को करने के 15 दिन के भीतर इंस्पेक्टर को इसकी रिपोर्ट पुलिस महानिरीक्षक को देनी होगी। जीएसपीसीए ने कहा कि एफआइआर दर्ज न करने के लिए इंस्पेक्टर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई एक साल बाद की जाएगी।

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