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धरती से गायब हो सकते हैं जिराफ, तोता, समुद्री शैवाल समेत कई बहुमूल्‍य पेड़ और पौधे! ISPBE की रिपोर्ट में किया गया खुलासा

ISPBE की एक रिपोर्ट में कई चौकाने वाले खुलासे किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि धरती से तोता जिराफ और समुद्रीय शैवाल समेत कई पेड़ लुप्‍त होने की कगार पर हैं। इंसान ने यदि अपनी प्रवृति नहीं बदली तो इसका खामियाजा भी उसको भुगतना होगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 06:54 PM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 06:54 PM (IST)
धरती से गायब हो सकते हैं जिराफ, तोता, समुद्री शैवाल समेत कई बहुमूल्‍य पेड़ और पौधे! ISPBE की रिपोर्ट में किया गया खुलासा
जिराफ और तोता समेत विलुप्‍त हो सकती हैं पेड़ पौधों की कई प्रजातियां

नई दिल्‍ली (कमल कान्‍त वर्मा)। इंटरगवर्नमेंटल साइंस पालिसी प्‍लेटफार्म आन बायाडाइवर्सिटी एंड इकोसिस्‍टम सर्विसिज (Intergovernmental Science Policy Platform on Bidiversity abd /ecosystem services) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्‍व पशु पक्षियों और पेड़ों की लगभग दस लाख प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। इनमें जिराफ, तोते और बांज के पेड़ और नागफनी के अलावा समुद्री शैवाल भी शामिल हैं।

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यहां पर शामिल समुद्री शैवाल का नाम इस लिस्‍ट में होना हैरान करने वाला इसलिए है क्‍योंकि धरती पर कठिन परिस्थितियों में जिंदा रहने में इनका नाम सबसे पहले आता है। इनमें से कुछ शैवाल की किस्‍म लगभग 1.6 अरब साल पुरानी हैं। ये समुद्री शैवाल समुद्र के इकालाजिकल सिस्‍टम का एक अहम हिस्‍सा होते हैं। ये न केवल समुद्र में रहने वाले जीवों को आवास प्रदान करते हैं बल्कि उन्‍हें भोजन भी देते हैं। इनमें शामिल केल्‍प तो मछलियों के लिए किसी नर्सरी की ही तरह काम करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनके कम होने का प्रमुख कारण समुद्र का बढ़ता तापमान और मशीनी हस्‍तक्षेप है। इसके अलावा तटों पर हो रहे बुनियादी ढांचों के निर्माण से भी इन पर प्रभाव पड़ रहा है।

रिपोर्ट में दुनियाभर के कई पेड़ों का भी जिक्र किया गया है जो खात्‍मे की कगार पर है। रिपोर्ट में इसकी वजह उद्योग और खेती के लिये वनों की कटाई, ईंधन के रूप में जंगल की लकड़ी का इस्‍तेामल, जंगलों की आग प्रमुख बताई गई है। प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतरराष्ट्रीय संघ (IUCN) लिस्‍ट के मुताबिक दुनिया के 430 प्रकार के बांज (Oak) के पेड़ों में से 31 फीसद पर लुप्‍त होने का खतरा मंडरा रहा है। इन्‍हें रेड लिस्‍ट में शामिल किया गया है। इसके अलावा इस लिस्‍ट में कहा गया है कि जिस तेजी से मांस के लिए जिराफ को मारा जा रहा है उस तरह से ये जल्‍द ही खत्‍म हो जाएंगे। विश्‍व में अब केवल 600 पश्चिम अफ्रीकी जिराफ ही बचे हैं।

यूएन एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि जब तक इंसान प्रकृति के साथ संबंध नहीं रखना सीखेगा तब तक ऐसा ही होता रहेगा। इंसान को प्रकृति के साथ सामंजस्‍य स्‍थापित करके ही आगे बढ़ना सीखना होगा। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की डायरेक्‍टर सूजन गार्डनर का कहना है कि जिन पेड़ों का जिक्र रेड लिस्‍ट में है वो लाखों लोगों के लिये भोजन, आश्रय और आय का एक अनिवार्य स्रोत हैं।


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