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दिल को मजबूत बनाता है आपके घर में मौजूद यह मसाला, कैंसर से लड़ने में भी मददगार

आज हम आपको आपके किचन में मौजूद एक ऐसे ही मसाले के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में गुणों की खान है।

By Deepak PandeyEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 12:30 PM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 03:10 PM (IST)
दिल को मजबूत बनाता है आपके घर में मौजूद यह मसाला, कैंसर से लड़ने में भी मददगार

जागरण स्‍पेशल [नई दिल्‍ली]। अपने देश की खासियत है कि यहां कई बीमारियां घर की रसोई में जाकर ही खत्‍म हो जाती हैं। आज हम आपको आपके किचन में मौजूद एक ऐसे ही मसाले के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में गुणों की खान है। यह है अदरक। सर्दियां शुरू होनेवाली हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अदरक के गुणों को अच्‍छी तरह से जान लें। हालांकि इसे सिर्फ सर्दी-खांसी की दवा समझने की भूल न करें। और भी कई बीमारियों में अदरक के इस्‍तेमाल से तुरंत राहत मिलती है। अदरक में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेटस, आयरन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं।

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ऐतिहासिक अभिलेखों से भी पहले से भारत और चीन में अदरक को एक मसाले और औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहता है। दोनों देशों के शुरुआती चिकित्सा ग्रंथों में ताजे और सुखाए गए, दोनों रूपों में इस मसाले के औषधीय इस्तेमाल का जिक्र है।

भारत के आयुर्वेदिक ग्रंथों में अदरक को सबसे महत्वपूर्ण बूटियों में से एक माना गया है। यहां तक कि उसे अपने आप में औषधियों की खान बताया गया है। आयुर्वेदिक चिकित्सक इसको एक शक्‍तिशाली पाचक बताते हैं, क्योंकि यह भूख बढ़ाता है। इसके पोषक तत्व शरीर के सभी हिस्सों तक आसानी से पहुंच पाते हैं। आयुर्वेद में अदरक को जोड़ों के दर्द, मतली और गति के कारण होने वाली परेशानी के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है।

चीनी नाविक स्‍कर्वी के इलाज में करते थे उपयोग: इतिहास के पन्‍ने पलटें तो पता चलता है कि चौथी शताब्दी ईसापूर्व के चीनी ग्रंथों में अदरक को पेट की समस्याओं, मतली, दस्त, हैजा, दांत दर्द, रक्‍तस्राव और गठिया के उपचार के लिए एक औषधि बताया जाता था। चीन के जड़ी-बूटी विशेषज्ञ इस बूटी का इस्तेमाल सर्दी-खांसी सहित तमाम श्वास संबंधी बीमारियों के उपचार में भी करते हैं। पांचवीं सदी में चीनी नाविक लंबी समुद्री यात्राओं में स्कर्वी के इलाज के लिए अदरक में मौजूद विटामिन सी तत्वों का इस्तेमाल करते थे।

कम करता है कोलेस्‍ट्रॉल: अदरक सालों से हृदय रोगों के उपचार में इस्तेमाल होता रहा है। चीनी चिकित्सा में कहा जाता है कि अदरक के गुण दिल को मजबूत बनाते हैं। हृदय रोगों से बचाव और उपचार में अक्सर अदरक के तेल का प्रयोग किया जाता था। वहीं इसमें मौजूद तत्व कोलेस्ट्रॉल को कम करने, ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने, रक्‍त प्रवाह में सुधार लाने और अवरुद्ध आर्टरियों तथा खून के थक्कों से बचाव का काम करते हैं। ये सारी चीजें हार्ट अटैक के जोखिम को कम करती हैं।

कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सक्षम: विभिन्‍न शोधों में अदरक को कई तरह के कैंसर में लाभदायक औषधि के रूप में देखा जा रहा है। मिशिगन यूनिवर्सिटी कांप्रिहेंसिव कैंसर सेंटर ने एक अध्ययन में पाया कि अदरक ने ओवरी कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया। इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने ओवरी कैंसर कोशिकाओं पर अदरक पाउडर और पानी का एक लेप लगाया। हर परीक्षण में पाया गया कि अदरक के मिश्रण के संपर्क में आने पर कैंसर की कोशिकाएं नष्ट हो गईं। हर कोशिका ने या तो आत्महत्या कर ली, जिसे एपोप्टोसिस कहा जाता है या उन्होंने एक-दूसरे पर हमला कर दिया, जिसे ऑटोफेगी कहा जाता है।

स्‍तन और प्रोस्‍टेट कैंसर के इलाज में भी लाभदायक: अदरक को स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर के इलाज में भी बहुत लाभदायक पाया गया है। जर्नल ऑफ बायोमेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित शोध में पता चला कि अदरक के पौधे के रसायनों ने स्वस्थ स्तन कोशिकाओं पर असर डाले बिना स्तन कैंसर की कोशिकाओं के प्रसार को रोक दिया। यह गुण बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पारंपरिक विधियों में ऐसा नहीं होता। हालांकि बहुत से ट्यूमर कीमोथैरैपी से ठीक हो जाते हैं, मगर स्तन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना ज्यादा मुश्किल होता है। वे अक्सर बच जाती हैं और उपचार के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेती हैं।

कई और तरह के कैंसर, जैसे गुदा कैंसर, लिवर कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, मेलानोमा और पैंक्रियाज के कैंसर को रोकने में अदरक के तत्वों की क्षमता पर भी अध्ययन किए गए हैं। यह एक दिलचस्प बात है कि एक कैंसर रोधी दवा बीटा-एलिमेन अदरक से बनाई जाती है।

शुगर में भी लाभदायक: मधुमेह के मामले में अध्ययनों ने अदरक को इसके बचाव और उपचार दोनों में असरदार माना है। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में अदरक को टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक पाया गया। अदरक के तत्व इंसुलिन के प्रयोग के बिना ग्लूकोज को स्नायु कोशिकाओं तक पहुंचाने की प्रक्रिया बढ़ा सकते हैं। इस तरह इससे उच्च रक्त शर्करा स्तर (हाई शुगर लेवल) को काबू में करने में मदद मिल सकती है। अध्ययनों में पाया गया है कि अदरक मधुमेह से होने वाली जटिलताओं से बचाव करती है। अदरक मधुमेह पीड़ित के लिवर, किडनी और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को सुरक्षित कर सकती है। साथ ही वह इस बीमारी के एक आम दुष्प्रभाव मोतियाबिंद का खतरा भी कम करती है।

जोड़ों के दर्द और आर्थराइटिस को भी अदरक से करें ठीक: अदरक में जिंजरोल नामक एक तत्‍व होता है, जो जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द को कम करता है। एक अध्ययन के मुताबिक, अदरक गंभीर और स्थायी इंफ्लामेटरी रोगों के लिए एक असरकारी उपचार है। कई और वैज्ञानिक अध्ययन भी जोड़ों के दर्द में अदरक के असर की पुष्टि करते हैं। गठिया के शुरुआती चरणों में यह खास तौर पर असरकारी होता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित बहुत से मरीजों ने नियमित तौर पर अदरक के सेवन से दर्द कम होने और बेहतर गतिशीलता का अनुभव किया। हांगकांग में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि अदरक और संतरे के तेल से मालिश करने पर घुटने की समस्याओं वाले मरीजों में थोड़ी देर के लिए होने वाली अकड़न और दर्द में राहत मिलती है।

बढ़ाता है पाचनशक्‍ति: अदरक को प्राचीन सभ्यताओं में भी एक पाचक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह पेट फूलने और उदर वायु की समस्या से बचाव करता है। भोजन से पहले नमक छिड़क कर अदरक के टुकड़े खाने से लार बढ़ता है, जो पाचन में मदद करता है और पेट की समस्याओं से बचाव करता है। भारी भोजन के बाद अदरक की चाय पीने से भी पेट फूलने और उदर वायु को कम करने में मदद मिलती है। अगर आपको पेट की समस्याएं ज्यादा परेशान कर रही हैं, तो आप फूड प्वायजनिंग के लक्षणों को दूर करने के लिए भी अदरक का सेवन कर सकते हैं।

माइग्रेन और मासिक धर्म की पीड़ा को करेगा कम: शोध से पता चलता है कि अदरक माइग्रेन (सिरदर्द) में राहत दे सकता है। ईरान में किए गए और फाइटोथैरेपी रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि माइग्रेन के लक्षणों के उपचार में अदरक पाउडर माइग्रेन की आम दवा सुमाट्रिप्टन जितना ही असरदार है। क्लीनिकल ट्रायल में तीव्र लक्षणों वाले 100 माइग्रेन पीड़ितों में से कुछ को सुमाट्रिप्टन दिया गया और बाकियों को अदरक पाउडर। शोध में पाया गया कि दोनों की प्रभावक्षमता एक जैसी थी और अदरक पाउडर के दुष्प्रभाव सुमाट्रिप्टन के मुकाबले बहुत कम थे। इससे यह पता चलता है कि यह माइग्रेन का अधिक सुरक्षित उपचार है। माइग्रेन का हमला शुरू होते ही अदरक की चाय पीने से प्रोस्टेग्लैंडिन दब जाते हैं और असहनीय दर्द में राहत मिलती है। इससे माइग्रेन से जुड़ी उबकाई और चक्कर की समस्याएं भी नहीं होतीं।

अदरक डिस्मेनोरिया (पीड़ादायक मासिक धर्म) से जुड़े दर्द को भी काफी कम करने में मददगार है। ईरान में एक शोध के दौरान 70 महिला विद्यार्थियों को दो समूहों में बांटा गया। एक समूह को अदरक के कैप्सूल और दूसरे को एक प्लेसबो दिया गया। दोनों को उनके मासिक चक्र के पहले तीन दिनों तक ये चीजें दी गईं। शोधकर्ताओं ने पाया कि अदरक के कैप्सूल लेने वाली 82.85 फीसदी महिलाओं ने दर्द के लक्षणों में सुधार बताया, जबकि प्लेसबो से सिर्फ 47.05 फीसदी महिलाओं को ही राहत मिली।

शक्‍तिशाली एंटीऑक्सीडेंट: दुनिया में हुए बहुत से अध्ययनों में पाया गया है कि अदरक में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो लिपिड पेरोक्सिडेशन और डीएनए क्षति को रोकते हैं। एंटीऑक्सीडेंट बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे फ्री रेडिकल्स के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे उम्र के साथ आने वाली तमाम तरह की बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, आर्थराइटिस, अल्जाइमर्स और बाकी रोगों से बचाव में मदद मिलती है।

हालांकि सभी मसालों में शक्‍तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, लेकिन अदरक उनमें ज्यादा प्रभावशाली है। इसमें अपनी 25 अलग-अलग एंटीऑक्सीडेंट विशेषताएं हैं। इसके कारण यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों में तमाम तरह के फ्री रेडिकल्स से लड़ने में बहुत असरदार है।

ध्यान देने योग्य बातें

- दो साल से कम उम्र के बच्चों को अदरक नहीं दी जानी चाहिए।

- आम तौर पर, वयस्कों को एक दिन में 4 ग्राम से ज्यादा अदरक नहीं लेनी चाहिए। इसमें खाना पकाने में इस्तेमाल किया जाने वाला अदरक शामिल है।

- गर्भवती स्त्रियों को 1 ग्राम रोजाना से अधिक नहीं लेना चाहिए।

- आप अदरक की चाय बनाने के लिए सूखे या ताजे अदरक की जड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं और उसे रोजाना दो से तीन बार पी सकते हैं।

- अत्यधिक सूजन को कम करने के लिए आप रोजाना प्रभावित क्षेत्र पर कुछ बार अदरक के तेल से मालिश कर सकते हैं।

- अदरक के कैप्सूल दूसरे रूपों से बेहतर लाभ देते हैं।

- अदरक खून पतला करने वाली दवाओं सहित बाकी दवाओं के साथ परस्पर प्रभाव कर सकती है।

- किसी विशेष समस्या के लिए अदरक की खुराक की जानकारी और संभावित दुष्प्रभावों के लिए हमेशा डॉक्टर से संपर्क करें।

इनके लिए जहर है अदरक

ब्लड डिसॉर्डर: जिन लोगों को किसी भी तरह का रक्‍त विकार हो, उन्हें अदरक कम खाना चाहिए। खासकर हीमोफीलिया से पीड़ित लोग, क्योंकि अदरक खून को पतला करने का काम करता है। इस वजह से शरीर पर हल्का-सा कट या चोट, ज़्यादा खून बहा सकता है। अदरक उन लोगों के लिए बेहतर है, जिन्हें खून का थक्का जमने की परेशानी हो।

प्रेग्नेंसी: शुरुआती महीनों में आने वाली मॉर्निंग सिकनेस और कमजोरी को दूर करने के लिए अदरक का सेवन बहुत बढ़िया है, लेकिन आखिरी तिमाही महीनों में अदरक से दूरी बनाएं, क्योंकि इससे प्रीमेच्योर डिलिवरी और लेबर होने का खतरा बना रहता है। प्रेगनेंसी के समय ज्यादा अदरक भ्रूण के सेक्स हामोर्न पर प्रभाव डाल सकता है। ऐसी भी रिपोर्ट आई है कि अधिक अदरक के सेवन से गर्भपात भी हो जाता है।

नियमित दवाइयों का सेवन करने वाले: डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की नियमित दवाइयां खाने वाले लोग अदरक से बचें। इन दवाइयों में मौजूद ड्रग्स जैसे बेटा-ब्लॉकर्स, एंटीकोगुलैंट्स और इंसुलिन अदरक के साथ मिलकर खतरनाक मिश्रण बनाते हैं। यदि मधुमेह रोगी दवाई लेते हुए अदरक का भी सेवन करते हैं तो उनका ब्लड लेवल लो हो जाने का खतरा बढ़ता है। इसलिए अदरक को हमेशा सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए। 


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