Move to Jagran APP

अरबों रुपये की पूंजी पाकर भी सरकारी बैंक बीमार, सरकार हर मदद के लिए तैयार

फंसे कर्ज और बढ़ते घाटे की समस्या से जूझ रहे बैंकों को चालू वित्त वर्ष में भी सरकारी मदद की दरकार होगी।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 18 May 2018 07:39 AM (IST)Updated: Fri, 18 May 2018 09:01 AM (IST)
अरबों रुपये की पूंजी पाकर भी सरकारी बैंक बीमार, सरकार हर मदद के लिए तैयार
अरबों रुपये की पूंजी पाकर भी सरकारी बैंक बीमार, सरकार हर मदद के लिए तैयार

नई दिल्ली (जेएनएन)। सरकार से अरबों रुपये की पूंजी पाकर भी सरकारी बैंक संकट से उबर नहीं पाए हैं। फंसे कर्ज और बढ़ते घाटे की समस्या से जूझ रहे बैंकों को चालू वित्त वर्ष में भी सरकारी मदद की दरकार होगी। यही वजह है कि केंद्र ने सक्रियता दिखाते हुए बैंकों को संकट से उबारने के लिए हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। उन्होंने यह संकेत उन 11 बैंकों के साथ हुई बैठक में दिया जिन्हें रिजर्व बैंक ने प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) की श्रेणी में डाल दिया है।

loksabha election banner

वित्त मंत्री पीयूष गोयल को यह भरोसा देने की जरूरत इसलिए पड़ी है, क्योंकि कई सरकारी बैंक इस समय फंसे कर्ज, बढ़ते घाटे और सिमटते पूंजी आधार की समस्या से गुजर रहे हैं। आरबीआइ ने जिन 11 बैंकों को 'प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन' की श्रेणी में डाला है। असल में जब किसी बैंक को 'प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन' के तहत उपाय करने को कहा जाता है तो उस बैंक में लाभांश वितरण पर अंकुश रहता है। साथ ही बैंक के मालिकों को उसमें और पूंजी लगाने के लिए भी कहा जा सकता है। इसके अलावा बैंकों को उनकी शाखाएं बढ़ाने पर रोक रहती है तथा उन्हें हानि की भरपाई के लिए अधिक प्रोविजनिंग यानी घाटे की पूर्ति के लिए राशि रखनी पड़ती है। सरकारी बैंकों के फंसे कर्ज यानी एनपीए का अनुपात बढ़कर दस फीसद हो गया है। वहीं, वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही के लिए अब तक 11 सरकारी बैंकों के वित्तीय परिणाम आए हैं, जिसमें से नौ बैंकों को भारी भरकम 31,688 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। अब इन बैंकों का केंद्र सरकार से वित्तीय मदद लिये बगैर काम नहीं चलेगा।

हाल के वर्षों में सरकार ने बैंकों की सेहत सुधारने के लिए अपने खजाने से भारी भरकम धनराशि दी है, उसके बावजूद इसमें कोई सुधार नहीं आया है। बैंकों को पिछले चार वर्षों में लगभग 90,000 करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध करायी जा चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में बैंकों को एक लाख करोड़ रुपये पूंजी देने की आवश्यकता पड़ सकती है। गोयल ने कहा कि अगले कुछ दिनों में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बैंकों को 'प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन' की श्रेणी से जल्द से जल्द निकालने के लिए केंद्र सरकार हर संभव मदद मुहैया कराए। उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली में बीते 12-13 साल में जो कुछ हुआ है, उसे समझने के लिए यह बैठक काफी उपयोगी रही।

आरबीआइ गवर्नर को तीखे सवालों का सामना करना पड़ेगा 

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को बैंकों के फंसे कर्ज के संकट पर संसदीय समिति के तीखे सवालों से दो-चार होना पड़ सकता है। संसदीय समिति ने पटेल को 12 जून की बैठक में उपस्थित होकर बैंकों के फंसे कर्ज की समस्या पर जानकारी देने के लिए बुलाया है। सूत्रों ने बताया कि पहले यह बैठक 17 मई को होनी थी लेकिन कुछ कारणों के चलते इसे टालकर 12 जून करने का फैसला किया गया। बैठक में भारतीय बैंकिंग तंत्र के समक्ष चुनौतियां और उनके समाधान पर चर्चा की जाएगी। कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली संसद की वित्त मामलों संबंधी समिति ने यह बैठक ऐसे समय बुलायी है जब देश का बैंकिंग तंत्र कठिन दौर से गुजर रहा है। देश की दूसरी सबसे बड़े बैंक पीएनबी में बड़ा घोटाला सामने आया है, जो राजनीतिक मुद्दा भी बना हुआ है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.