अब पाएं भारतीय आकाश में ड्रोन विमानों को उड़ाने की आटोमैटिक अनुमति
अब भारतीय आकाश में ड्रोन विमानों को पूर्णतया सुरक्षित और कमर्शियल तौर पर उड़ाया जा सकेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब भारतीय आकाश में ड्रोन विमानों को पूर्णतया सुरक्षित और कमर्शियल तौर पर उड़ाया जा सकेगा। इसके लिए सरकार ने अनुमति प्राप्त करने के नए नियमों के साथ एक पूर्णतया डिजिटल तंत्र विकसित किया है।'डिजिटल स्काई प्लेटफार्म' नाम का यह मोबाइल एप आधारित यह तंत्र मानवरहित यातायात प्रबंधन (यूटीएम) के रूप में काम करता है। यह अपनी तरह का पहला डिजिटल तंत्र है जो 'अनुमति नहीं तो उड़ान नहीं' के सिद्धांत को एकदम पारदर्शी ढंग से लागू करता है। इसके लिए ड्रोन उपयोगकर्ताओं को मोबाइल एप पर जाकर अपने ड्रोन, पायलट तथा मालिक का एक बार पंजीकरण कराना होता है। इसके बाद प्रत्येक उड़ान के लिए इस पर अनुमति लेनी पड़ती है। सारी चीजें जांचने के बाद यह तुरंत ऑटोमैटिक ढंग से अनुमति दे देता है अथवा इनकार कर देता है।
विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि 'ड्रोन विमानों के कमर्शियल उपयोग की अनुमति देकर आज हमने भारतीय विमानन क्षेत्र में नया रोमांचक अध्याय शुरू किया है। मेरा विश्वास है कि इससे अनेक नए रोमांचक एप्लीकेशन सामने आएंगे जिनसे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी। इससे देश में विशाल 'मेड इन इंडिया' ड्रोन उद्योग का विकास होगा।'
विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि हम विश्व में अग्रणी ड्रोन ईकोसिस्टम स्थापित करना चाहते हैं। इन नियमों से हम दुनिया के अग्रणी ड्रोन ईकोसिस्टम का हिस्सा बन जाएंगे। इसका लाभ सभी को मिलेगा। हमें आशा है कि इन कदमों से एक ऊर्जावान ड्रोन उद्योग का जन्म होगा।
ड्रोन की अनधिकृत उड़ानों को रोकने तथा सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनमैन्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट (यूटीएम) में ऐसी व्यवस्था की गई है कि बिना अनुमति के ड्रोन जाम होने के साथ उड़ान भरने में अक्षम हो जाता है। इस तरह यूटीएम यातायात नियामक के तौर पर कार्य करता है। इसके लिए वह रक्षा तथा नागरिक उड्डयन दोनों के एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों के साथ समन्वय बना कर चलता है।
ड्रोन नियमों के लिए सरकर ने भारतीय आकाश को तीन जोनों में विभाजित किया है। रेड जोन में उड़ान वर्जित है। येलो जोन में नियंत्रित उड़ान हो सकती है। जबकि ग्रीन जोन उड़ानों की ऑटोमैटिक अनुमति वाला जोन है। इसी प्रकार वजन के अनुसार ड्रोन की पांच श्रेणियां रखी गई हैं : नैनो, माइक्रो, स्माल, मीडियम तथा लार्ज। नैनो तथा एनटीआरओ, एआरसी तथा केंद्रीय एजेंसियों द्वारा प्रयुक्त ड्रोन को छोड़कर बाकी सभी श्रेणियों के ड्रोन का पंजीकरण (मालिक के आधार नंबर के साथ) कराना और उड़ान की पूर्वानुमति लेनी जरूरी है।
उड़ान अनुमति अनमैन्ड एयरक्राफ्ट आपरेटर परमिट यानी यूएओपी के नाम से मिलेगी। अभी रक्षा क्षेत्र व संवेदनशील इलाकों से बाहर ड्रोन को दिन में, दृष्टि सीमा के भीतर तथा 400 मीटर तक की ऊंचाई पर ही उड़ाने की अनुमति है। नियंत्रित आकाश में उड़ान भरने के लिए ड्रोन के फ्लाइट प्लान के साथ एयर डिफेंस अथवा फ्लाइट इंफारमेशन सेंटर से अनुमति लेनी जरूरी है। विमानन मंत्रालय के अनुसार ड्रोन रेग्युलेशंस-1.0 नाम से जारी नए नियम पहली दिसंबर, 2018 से लागू होंगे।