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Vizag Gas Leak update : विशाखापट्टनम में फिर गैस लीक, फायर ब्रिगेड की 60 गाड़ियां मौजूद; रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

गुरुवार को जिस टैंकर से रिसाव के कारण हादसा हुआ उसी टैंकर से एकबार फिर से Styrene गैस का रिसाव हो रहा है। अब तक 11 लोगों की मौत हो गई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 01:52 AM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 02:45 AM (IST)
Vizag Gas Leak update : विशाखापट्टनम में फिर गैस लीक, फायर ब्रिगेड की 60 गाड़ियां मौजूद; रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

विशाखापत्तनम, एजेंसी। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम की एलजी पॉलिमर इंडस्ट्री में एक बार फिर से गैस लीकिंग (Gas Leak) शुरू हो गई है। गुरुवार को जिस टैंकर से रिसाव के कारण हादसा हुआ, उसी टैंकर से एकबार फिर से Styrene गैस का रिसाव हो रहा है। घटना के तुरंत बाद ही फायर ब्रिगेड की लगभग 60 गाड़ियां लगा दी गई हैं। इसके अलावा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए ऐम्बुलेंस भी तैनात कर दी गई हैं।

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विशाखापट्टनम के जिला फायर ऑफिसर संदीप आनंद ने बताया कि जिस टैंकर से Styrene लीक हुई थी, उसी से फिर से गैर का रिसाव हो रहा है। फायर ब्रिगेड की लगभग 50 टीमें मौजूद हैं और एनडीआरएफ की मदद से ऑपरेशन जारी है। हमने एहतियात के तौर पर दो-तीन किलोमीटर की रेडियस में आने वाले गांवों को खाली कराने का आदेश दिया है।'

सिटी पुलिस कमिश्नर आर के मीणा ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही पुलिसकर्मियों ने तीन किलोमीटर रेडियस वाले इलाकों को खाली करा लिया गया है। लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। एक्सपर्ट्स की टीम मौके पर पहुंच गई है।'

गैस लीक हादसे में 11 की मौत, करीब दो दर्जन लोगों की हालत गंभीर 

 बता दें कि आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में गुरुवार तड़के हुए गैस लीक हादसे में 11 लोगों की जान चली गई। हादसे में आसपास के गांवों के हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। करीब दो दर्जन लोगों की हालत गंभीर है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। कृत्रिम रबर बनाने में इस्तेमाल होने वाली गैस स्टीरीन के प्रभाव में आने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। गैस लीक के कारणों का पता लगाने के लिए राज्य सरकार ने जांच का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इस दुर्घटना पर दुख जताया है।

 गैस रिसाव तड़के ढाई बजे के आसपास शुरु हुआ

दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी केम द्वारा संचालित एलजी पॉलीमर्स के कारखाने में गैस रिसाव तड़के ढाई बजे के आसपास हुआ, जब लोग गहरी नींद में सो रहे थे। गैस तेजी से आसपास के इलाकों में फैल गई। चीख-पुकार मचने से जब तक लोगों की आंख खुली तब तक कई लोग गैस के प्रभाव में आ चुके थे। बहुत से लोग नींद में ही बेहोश हो गए थे। फैक्ट्री के करीब पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले कुछ गांव इससे प्रभावित हुए हैं।

लॉकडाउन के दौरान बंद चल रही थी कंपनी

फैक्ट्री आर आर वेंकटपुरम गांव में स्थित है। गैस रिसाव के कारण जान गंवाने वालों में एक बच्चा भी है। वहीं दो लोगों की मौत एक बोरवेल में गिरने से हो गई। ये लोग गैस से बचने की कोशिश में भाग रहे थे। यह फैक्ट्री लॉकडाउन के दौरान बंद चल रही थी। लोगों को बचाने के लिए पहुंचे कुछ पुलिसकर्मियों हालत भी गैस के कारण खराब हो गई है। यहां तीन किलोमीटर के दायरे में रहने वाले करीब 250 परिवारों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया है। गैस के कारण जानवर और पक्षी भी बेहोश हुए हैं।

इसलिए हुए हादसा

बताया जा रहा है कि स्टीरीन के टैंकों से जुड़ी रेफ्रिजरेशन यूनिट में खामी से यह हादसा हुआ। 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान पर स्टीरीन सुरक्षित व द्रव अस्वथा में रहता है। रेफ्रिजरेशन में खामी के कारण तापमान बढ़ गया और स्टीरीन गैस के रूप में लीक हो गई। पुलिस ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और लापरवाही समेत कई धाराओं में मामला दर्ज किया है।

हाई कोर्ट ने पूछा- आबादी के बीच कैसे चल रही थी ऐसी फैक्ट्री

आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने भी मामले पर संज्ञान लेते हुए राज्य एवं केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर पूछा है कि इस तरह की फैक्ट्री को आबादी के बीच संचालन की अनुमति कैसे मिल गई। पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अगर जांच में पाया गया कि कंपनी पर्यावरण संबंधी मानकों का पालन नहीं कर रही, तो उसका लाइसेंस रद किया जा सकता है।

1961 में हुई थी कंपनी की स्थापना

1961 में हिंदुस्तान पॉलीमर्स के नाम से इस कंपनी की स्थापना हुई थी। जुलाई, 1997 में दक्षिण कोरिया की कंपनी एलजी केम ने इसका अधिग्रहण कर लिया था और इसका नाम एलजी पॉलीमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया था।

चल रही जांच

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने घटना की जांच का आदेश दिया है। राज्य के डीजीपी डी. गौतम सावंग ने कहा, 'गैस कैसे लीक हुई और प्लांट में लगा न्यूट्रलाइजर इस रिसाव को रोकने में कारगर क्यों नहीं साबित हुआ, इसकी जांच की जाएगी। स्टीरीन आमतौर पर जहरीली गैस नहीं है लेकिन अगर सांस के रास्ते ज्यादा गैस शरीर में चली जाए तो जानलेवा हो सकती है।'

सैकड़ों लोग प्रभावित

सूत्रों का कहना है कि गैस के रिसाव को सुबह की रोक लिया गया था, लेकिन कई घंटे बाद तक इसका असर सामने आता रहा। जैसे-जैसे दिन बीता, हादसे की गंभीरता सामने आती गई। सैकड़ों गांव वाले आंख में जलन, सांस में तकलीफ और चक्कर की स्थिति का सामना कर रहे हैं। प्रभावितों में बड़ी संख्या बच्चों की है। अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर लोगों को बस प्राथमिक चिकित्सा की जरूरत है।

ताजा हुईं भोपाल गैस त्रासदी की भयावह यादें

घटना ने 36 साल पुरानी भोपाल गैस त्रासदी की भयावह यादों को ताजा कर दिया। दो-तीन दिसंबर, 1984 की दरम्यानी रात यूनियन कार्बाइड के कारखाने में हुए गैस रिसाव में 3,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। यह दुनिया की सबसे घातक औद्योगिक आपदा थी। कारखाने से मिथाइल अइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था।


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