'आज के दौर में गांधीजी भी चरखा किनारे रख देते'
महात्मा गांधी समय के अनुसार चलने वाले व्यक्ति थे। अगर आज वह जीवित होते, तो आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए वह भी चरखे को किनारे रख देते। यह दावा गुरुवार को गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने किया।
अहमदाबाद। महात्मा गांधी समय के अनुसार चलने वाले व्यक्ति थे। अगर आज वह जीवित होते, तो आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए वह भी चरखे को किनारे रख देते। यह दावा गुरुवार को गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने किया।
आनंदीबेन ने महात्मा गांधी के स्थापित नवजीवन ट्रस्ट परिसर में आर्ट गैलरी और एक कैफे का उद्घाटन करते हुए कहा, 'यदि गांधीजी आज जीवित होते तो वह भी 'तकली' को किनारे रख चुके होते। गांधी समय के अनुसार चलने वाले व्यक्ति थे। हममें से बहुत लोग गांधीजी को पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं। हमें ऐसी प्रणाली बनानी चाहिए, जिससे हम स्थितियों के अनुसार खुद में बदलाव ला सकें।'
उन्होने नवजीवन ट्रस्ट के प्रबंध ट्रस्टी विवेक देसाई का समर्थन करते हुए कहा, 'पूरी दुनिया कंप्यूटर का उपयोग कर रही है और हम तकली लिए बैठे रहें। यह उपयोगी नहीं है। गांधी ने कभी यह नहीं कहा कि क्योंकि मैं तकली चलाता हूं तो तुम इसका कभी भी उपयोग बंद नहीं करना। चरखे का प्रयोग सिर्फ एक विचार था।'
मालूम हो, विवेक देसाई ने गांधीजी द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय (डीम्ड), गुजरात विद्यापीठ के छात्रों द्वारा चरखे और सूत का प्रयोग करने की आलोचना की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'गांधी ने जीवनभर स्वच्छता के लिए काम किया, लेकिन आजादी के बाद क्या हुआ.. गंदगी बढ़ गई है। स्वच्छता के विचार के क्रियान्वयन के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया गया। अब प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने देश को उनके स्वच्छता के विचार से जोड़ा है। गांधी के विचारों पर कार्य करने का यही वास्तविक तरीका है।'