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कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह है पटना का गांधी मैदान

गाँधी मैदान पटना शहर के बीचोबीच स्थित है। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे पटना लॉन्स या बाँकीपुर मैदान कहा जाता था और अभिजात अंग्रेज यहां हवाखोरी के लिए आते थे। लेकिन अब जनसभाओं, सम्मेलनों तथा राजनीतिक रैलियों के अतिरिक्त यह मैदान पुस्तक मेला तथा लोगों के दैनिक व्यायाम का भी

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2015 11:24 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2015 12:07 PM (IST)
कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह है पटना का गांधी मैदान

पटना। गाँधी मैदान पटना शहर के बीचोबीच स्थित है। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे पटना लॉन्स या बाँकीपुर मैदान कहा जाता था और अभिजात अंग्रेज यहां हवाखोरी के लिए आते थे। लेकिन अब जनसभाओं, सम्मेलनों तथा राजनीतिक रैलियों के अतिरिक्त यह मैदान पुस्तक मेला तथा लोगों के दैनिक व्यायाम का भी केन्द्र है।

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हाल फिलहाल गांधी मैदान की एक पहचान ये भी है कि यहां महात्मा गांधी की देश की सबसे बड़ी मूर्ति लगी है। इसके चारों ओर अति महत्वपूर्ण सरकारी इमारतें, प्रशासनिक तथा मनोरंजन केंद्र, चर्च आदि बने हैं।

बिहार के नवनियुक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान पर पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। लाखों की क्षमता वाला यह गांधी मैदान अपनी राजनीतिक पहचान के कारण इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

देश की मशहूर राजनीतिक शख्सियतों सुभाष चंद्र बोस, मोहम्मद अली जिन्ना, जयप्रकाश नारायण और नरेन्द्र मोदी तक ने अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने और पूरे देश में बदलाव का संदेश देने के लिए पटना के इसी गांधी मैदान में आए हैं। गांधी मैदान मात्र सैर-सपाटे की जगह नहीं है बल्कि यह इतिहास का हिस्सा रहा है और देश की दिशा बदलने वाले ऐतिहासिक घटनाक्रमों का गवाह भी।

महात्मा गांधी ने आजादी की लड़ाई की शुरुआत चंपारण सत्याग्रह से की थी। भारत का पहला सिविल नाफरमानी का संघर्ष शुरू करने के बाद बापू की विशाल जनसभा जनवरी, 1918 में इसी गांधी मैदान में आयोजित हुई। तभी से इसका नाम गांधी मैदान पड़ा। इस क्रांति के स्मारक के तौर पर महात्मा गांधी की सबसे

ऊंची (70 फीट की) प्रतिमा 2013 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्थापित की थी।

आजादी से पहले बांकीपुर मैदान नाम से पहचाने जाने वाले गांधी मैदान में 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना ने कांग्रेस के खिलाफ मुस्लिम लीग की एक एतिहासिक रैली को संबोधित किया था। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस ने 1939 में नव गठित फारवर्ड ब्लाक की पहली रैली को पटना के इसी ऐतिहासिक मैदान पर संबोधित किया था।

इसी मैदान से मोहम्मद अली जिन्ना ने मुसलिम लीग के छब्बीसवें सालाना इजलास (26-29 दिसंबर, 1938) में कहा था कि मुसलमान अलग कौम है, अत: पाकिस्तान चाहिए। यहीं पर बैरिस्टर अब्दुल अजीज की मुसलिम इंडिपेंडेंट पार्टी ने जिन्ना की मुसलिम लीग में अपना विलय करा दिया था। जिन्ना को बिहार में मुख्यमंत्री मिल गया। पाकिस्तान को अधिक संबल, जिससे पड़ोसी बंगाल का विभाजन हुआ। पूर्वी पाकिस्तान बना।

आजादी से पूर्व राष्ट्रपति महात्मा गांधी भी पटना प्रवास के दौरान कई बार शाम की सभाएं इसी मैदान में करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी कई बड़ी राजनैतिक रैलियों को यहां संबोधित कर चुकी हैं।

कांग्रेस के भ्रष्टाचार और तानाशाही के खिलाफ जब लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा 1974 में गांधी मैदान में ही संपूर्ण क्रांति के आह्वान किया गया था। उनकी एक आवाज पर यहां जुटी पांच लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ ने पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ बिगुल बजने का संदेश दे दिया था। पटना के इसी गांधी मैदान में हुई जेपी की वह रैली इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज हो गई।

वहीं, पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आड़वाणी की ऐतिहासिक रथ यात्रा का गवाह पटना का यह गांधी मैदान बना था। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, जेबी कृपलानी, ईएमएस नंबूदरीपाद, राम मनोहर लोहिया, अटल बिहारी वाजपेयी सहित विभिन्न नेता भी यहां कई बड़ी रैलियों को संबोधित कर चुके हैं।

प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद नरेन्द्र मोदी ने भी पटना के गांधी मैदान से ही परिवर्तन रैली के जरिए देशभर में अपने चुनाव प्रचार का शुभारंभ किया था। उस रैली के दौरान इसी गांधी मैदान में 6 जगह बम बिस्फोट हुए थे, लेकिन रैली चलती रही थी।

अभी समाप्त हुए विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी ने गांधी मैदान में हुंकार रैली के जरिए बिहार चुनावों के लिए प्रचार अभियान का शुभारंभ किया था। उनकी रैली के बाद राजद, जेडीयू और कांग्रेस ने भी महागठबंधन की स्वाभिमान रैली इसी गांधी मैदान में की।

राजनीतिक रैलियों के अलावा गांधी मैदान अपने रामलीला आयोजन के लिए भी प्रसिद्ध है। जहां हर साल रावण दहन के दौरान लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। हालांकि इस दौरान कई हादसों के कारण भी यह मैदान काफी चर्चाओं में रहा है।

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