जय हो!, ईकोफ्रेंडली ‘ग्रीन जेल’ पर उड़ान भरेगा अपना ‘गगनयान’
इसरो के पहले स्पेस शटल के लिए आइआइटी ने तैयार किया खास ईंधन आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग की सफलता।
विक्सन सिक्रोडिया, कानपुर। उपग्रह प्रौद्योगिकी का बिग-बॉस यानी भारत घोषणा कर चुका है कि अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन- गगनयान को वह 2022 तक अंजाम दे देगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, इसरो) इसकी तैयारी में जुटा हुआ है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आइआइटी) कानपुर ने स्वदेशी अंतरिक्ष यान के लिए लाजवाब ईंधन- ग्रीन जेल तैयार कर दिखाया है। गगनयान मिशन की दिशा में यह खोज काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
आइआइटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग ने अंतरिक्ष यान के लिए जो विशेष ईंधन ‘ग्रीन जेल’ तैयार किया है, वह न केवल उसकी रफ्तार दोगुनी करेगा बल्कि मौजूदा ईंधन के मुकाबले 40 फीसद कम प्रदूषण करेगा।
इसरो द्वारा मिले इस प्रोजेक्ट को आइआइटी के वैज्ञानिकों ने दो साल में पूरा कर दिखाया। सभी परीक्षण सफल रहने के बाद ‘फ्यूल’ रिसर्च जनरल में यह शोध प्रकाशित हुआ। तकनीक को पेटेंट कराने के बाद इसरो को इसकी रिपोर्ट भेज दी गई है।
प्रोजेक्ट से जुड़े आइआइटी कानपुर के प्रधान शोधकर्ता प्रो. डीपी मिश्रा ने बताया कि ग्रीन जैल को केरोसिन और जेलिंग एजेंट के साथ मिलाकर तैयार किया गया है। अभी स्पेस शटल उड़ाने के लिए लिक्विड हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और पैरा ऑक्साइड, नाइट्रोजन टेट्रा ऑक्साइड प्रोपेलेंट का इस्तेमाल हो रहा है। कई बार अंतरिक्ष यान पर अधिक दबाव से लिक्विड ईंधन लीक हो जाता है। इससे शटल के फटने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं नया ईंधन जेल के रूप में है। शटल पर अधिक दबाव के दौरान भी यह स्थिर रहता है। इंजन का तापमान कम रखने में भी सहायता करेगा।
इससे ईंधन लीकेज या शटल फटने की आशंका नहीं रहेगी। आइआइटी के वैज्ञानिक मेटल और नैनो मैटेरियल का इस्तेमाल कर ग्रीन जेल के ‘सुपर एनर्जटिक प्रोपेलेंट’ वर्जन पर भी शोध कर रहे हैं। ग्रीन जेल का प्रयोग सेटेलाइट लांचिंग व्हीकल में भी किया जा सके, यह परीक्षण भी हो रहा है।
बड़ी उपलब्धि... : स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2018) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में घोषणा की थी- 2022 तक भारत अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन- गगनयान को साकार कर दिखाएगा। इसरो के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने इसके बाद कहा- इसरो के लिए यह एक बड़ी जिम्मेदारी और चुनौती है, लेकिन इसे समय पर पूरा किया जाएगा। यह कार्यक्रम भारत को मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन शुरू करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा। अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन ने मानव अंतरिक्ष यान मिशन में सफलता पाई है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह प्रोजेक्ट आइआइटी कानपुर को दिया था। आइआइटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग ने इसमें दो वर्ष के अंदर सफलता प्राप्त कर दिखाई। तकनीक को पेटेंट करा रिपोर्ट इसरो को भेज दी गई है। अब ग्रीन जेल फ्यूल का सुपर एनर्जटिक वर्जन बनाने पर काम हो रहा है।
- प्रो. डीपी मिश्रा, प्रधान शोधकर्ता, फ्यूल
प्रोजेक्ट, आइआइटी कानपुर