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दुबई से देश में फैला संट्टा कारोबार

क्रिकेट सट्टा बाजार का स्वरूप बदल गया है। एक दशक पहले इसका संचालन दुबई से होता था इसमें अंडरव‌र्ल्ड का हाथ होने की बात कही जाती थी। लेकिन अब देश के अलग-अलग महानगरों में बैठे सटोरिये इसका खेल खेलते हैं। देश के किसी शहर में कैसिनो चलाने की अनुमति नहीं है। मगर अंतरराष्ट्रीय नियम का हवाला देकर सटोि

By Edited By: Published: Sat, 18 May 2013 10:57 AM (IST)Updated: Sat, 18 May 2013 10:59 AM (IST)
दुबई से देश में फैला संट्टा कारोबार

रविंद्र कुमार, नई दिल्ली। क्रिकेट सट्टा बाजार का स्वरूप बदल गया है। एक दशक पहले इसका संचालन दुबई से होता था इसमें अंडरव‌र्ल्ड का हाथ होने की बात कही जाती थी। लेकिन अब देश के अलग-अलग महानगरों में बैठे सटोरिये इसका खेल खेलते हैं। देश के किसी शहर में कैसिनो चलाने की अनुमति नहीं है। मगर अंतरराष्ट्रीय नियम का हवाला देकर सटोरिये गोवा में बड़े पांचसितारा क्रूज को तट पर लगाकर उसमें कैसिनो चलाते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देश में जो बड़े 10 से 15 बुकी हैं, उनमें अधिकतर का अड्डा गोवा के समुद्र तट पर तैर रहा क्रूज होता है।

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इसमें सामान्य जुए के साथ-साथ क्रिकेट मैच के दौरान सट्टे का कारोबार संगठित तरीके से चलता है। जो बुकी पकड़े भी गए हैं उनका लिंक भी कहीं न कहीं गोवा से जुड़ा है।

तीन तरह के बुकी

बुकी तीन तरह के होते हैं। बड़ा, बीच वाला और छोटा बुकी।

खास बात यह कि बीच वाला सटोरिया पूरे खेल में अहम रोल निभाता है। बड़ा व छोटा बुकी एक दूसरे को नहीं जानते, बीच वाला इनमें मध्यस्थ होता है। बड़ा बुकी जब अपने रेट खोलता है तो बीच वाला उसे पास ऑन करता है। फिर छोटा बुकी, जो अब तकरीबन देश के सभी छोटे-बड़े शहरों में फैल चुका है, वह अपना फायदा देखते हुए अपने बुक के हिसाब से सट्टा कराते हैं। छोटा बुकी अगर सट्टा हार या जीत रहा होता है तो अपने बुक की हार जीत को बीच वाले बुकी पर ट्रांसफर कर देता है।

आठ से दस हजार करोड़ का सट्टा

चौंकाने वाला तथ्य यह है कि आइपीएल के एक मैच पर करीब 8000 से 10,000 करोड़ का सट्टा बातों ही बातों में लगा दिया जाता है और इसका भुगतान हवाला से किया जाता है। हरेक महानगर में यह कारोबार 30 से 35 बीच वाले बुकी संभालते हैं। मैच का भाव बड़ा बुकी खोलता है।

सट्टे का धंधा करने वालों का नेटवर्क इतना जबरदस्त है कि भाव की सूचना चंद सेकेंड में सभी प्रमुख शहरों में फोन की हॉटलाइन, जिसे बुकी की भाषा में डब्बा कहा जाता है, द्वारा मैच के पल-पल के भाव देते रहते हैं। छोटे बुकी जहां बैठकर धंधा करते हैं उसका पता सट्टा लगाने वालों को नहीं देते हैं। ये लोग सट्टा लगाने वालों को अपने तीन या चार मोबाइल नंबर दे देते हैं, जिसके द्वारा सट्टा लगाया जाता है। फोन नंबर व जगह समय-समय पर बदलते रहते हैं। सट्टा लगाने वालों को पंटर कहा जाता है। हिसाब में कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए बुकी इन सबका हिसाब रिकॉर्ड कर रखता है।

सट्टा लगाने वालों की फोन पर बातचीत को भी टेप कर लिया जाता है।

जिसका इस्तेमाल बुकी और पंटर की गलतफहमी के समय प्रमाण के रूप में किया जाता है। बुकी अपना कमीशन पांच से सात फीसद रखते हैं।

खुद भी दांव खेल जाते हैं बुकी बताया जाता है कि कभी-कभी मैच रोचक दौर में पहुंच जाता है तो बुकी उसका फायदा उठाकर सट्टा लगाने वालों को चोर भाव जिसका कमीशन 25 से 30 फीसद होता है, लेते हैं। बुकी हमेशा फायदे में रहे ऐसा भी नहीं है। क्योंकि ये लोग लालच में आकर अपना निजी दांव भी लगा लेते हैं। इससे भारी उलट-फेर होने पर बुकी भी फेल हो जाते हैं और सट्टा लगाने वाले भी। इसके बाद पैसा वसूलने के लिए अपराधी किस्म के लोगों का सहारा लिया जाता है।

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