सबमरीन के बाद हिंद महासागर में चीनी वॉरशिप, सतर्क हुआ भारत
पिछले दो माह में भारत ने हिंद महासागर में एक दर्जन से अधिक चीनी वॉरशिप देखा है। चीन का कहना है कि ये शिप एंटी पायरेसी पैट्रोलिंग के लिए है।
बीजिंग (जेएनएन)। हिंद महासागर में चीन के बढ़ते वॉरशिप से भारतीय नौसेना चिंतित है। जबकि चीन ने इसके पीछे एंटी पायरेसी पैट्रोल और फ्रीडम ऑफ नैविगेशन को कारण बताया है लेकिन सरकारी सूत्रों का मानना है कि इस तरह की गतिविधि के कारण सामरिक जल की निगरानी के लिए भारत को संदेश मिल रहा है।
हिंद महासागर में चीनी नौसेना इकाइयों की तैनाती को देखते हुए भारतीय नौसेना ने भी अपनी निगाह पैनी कर दी है। नेवी सूत्र ने एचटी को बताया, ‘हाल के कुछ महीनों में हिंद महासागर में चीन की ओर से नई गतिविधि देखी गयी है। उनकी इन गतिविधियों पर निगरानी के लिए हम भी अपने तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।‘
भारतीय नौसेना ने पिछले दो माह में एक दर्जन से अधिक सबमरीन समेत चीनी वॉरशिप व अन्य गतिविधियों को देखा है। बता दें कि सिक्किम सीमा के पास इंडिया चीन भूटान ट्राइजंक्शन पर दोनों देशों के सेना तैनात हैं। हालांकि विवादित क्षेत्र डोकलाम से भारतीय सेना को हटाने की बात करते हुए चीनी मीडिया ने युद्ध की चेतावनी दी है।
अक्टूबर 2008 से भारतीय नौसेना आदेन की खाड़ी में मौजूद है, 64 वॉरशिप एंटी पायरेसी ऑपरेशन में शामिल है। वहीं अधिकारियों के अनुसार, 2014 से लगातार चीन आदेन की खाड़ी में सबमरीन की तैनाती कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, हिंद महासागर में चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भारत अपने पी-81 सैटेलाइट और सर्फेस शिप का उपयोग कर रहा है। हिंद महासागर पर करीब से नजर रखने के लिए नई दिल्ली अमेरिका से 22 गार्जियन ड्रोंस खरीद रहा है। यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान स्पष्ट हो गया।
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