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जन स्वास्थ्य की मजूबत होगी नींव, जानिये विश्वविद्यालयों ने क्‍या किए उपाय

देश भर के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में जन स्वास्थ्य से जुड़े एक नए कोर्स को शुरू करने की मंजूरी दी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 09:10 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 12:01 AM (IST)
जन स्वास्थ्य की मजूबत होगी नींव, जानिये विश्वविद्यालयों ने क्‍या किए उपाय

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आयुष्मान भारत की सौगात देने के साथ ही सरकार अब जन स्वास्थ्य को लेकर भविष्य की नींव को भी मजबूती देने में जुट गई है। इसे लेकर सरकार ने एक बड़ी पहल की है।

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यूजीसी ने जारी किए निर्देश 
देश भर के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में जन स्वास्थ्य से जुड़े एक नए कोर्स को शुरू करने की मंजूरी दी है। जो अगले साल से विश्वविद्यालय और कॉलेजों में शुरू हो जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों को इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिया है।

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खत्‍म होगी विशेषज्ञों की कमी 
सरकार का मानना है कि इस खास पाठ्यक्रम के शुरु होने से देश में जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेषज्ञों की कमी खत्म हो जाएगी। जो सरकार की अब तक की काफी कोशिशों के बाद बनी हुई है।

वैसे भी मौजूदा समय में विवि और कॉलेजों में अब तक इस तरह का कोई पाठ्यक्रम मौजूद नहीं है, जिससे जन स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे विशेषज्ञ तैयार किए जा सके, जो बीमारियों की जानकारी रखने के साथ ही स्वास्थ्य प्रबंधन के क्षेत्र में भी पारंगत हो। अभी इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग दूसरे क्षेत्रों से शिक्षित होकर काम कर रहे है।

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दो वर्षीय पाठ्यक्रम होगा 
वहीं विश्वविद्यालयों और कालेजों में शुरू होने वाले जन स्वास्थ्य से जुड़े इस खास कोर्स को 'मास्टर इन पब्लिक हेल्थ' नाम दिया गया है। जो दो वर्षीय पाठ्यक्रम होगा। इनमें विज्ञान और कला दोनों ही क्षेत्र से कुछ खास विषयों से जुड़े स्नातक छात्र प्रवेश ले सकेंगे।

चार सौ घंटे का इंटर्नशिप और शोध कार्य करना अनिवार्य 
इस पाठ्यक्रम में छात्रों को कम से कम चार सौ घंटे का इंटर्नशिप और शोध कार्य करना अनिवार्य होगा। इस पाठ्यक्रम के जरिए छात्रों को रोगों से जुड़ी देश और दुनिया की जानकारी के साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रबंधन, नीति और सर्वे आदि की पढ़ाई कराई जाएगी। इसकी पूरी पढ़ाई नियमित (रेगुलर) अध्ययन के तहत होगा।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने सौंपा मॉडल पाठ्यक्रम 
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इस तरह के पाठ्यक्रमों को शुरू करने की सिफारिश की काफी पहले की थी। हालांकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय से इसे लेकर एक मॉडल पाठ्यक्रम तैयार करके देने को कहा था। हाल ही में यह पाठ्यक्रम स्वास्थ्य मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपा है। जिसे बगैर देरी किए मंजूरी दी गई है।

इन विषयों के स्नातक ले सकेंगे प्रवेश 
-मेडिसीन, आयुष, वेटेनरी साइंस, एलाइड एवं हेल्थ साइंस, लाइफ साइंस, स्टेटिक्स, बायोस्टेटिक्स, डेमोग्राफी, पापुलेशन स्टडी, न्यूट्रीशन, सोशियोलॉजी, साइकोलॉजी, एंथ्रोपोलोजी, सोशल वर्क। हालांकि इसके अलावा विवि को भी यह विवेकाधिकार दिया गया है, वह जरूरत के मुताबिक इसमें कुछ और विषयों को भी शामिल कर सकते है।


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