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उपयोगी बल्लेबाज थे पाक के पूर्व प्रधानमंत्री भुट्टो

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो दायें हाथ के उपयोगी बल्लेबाज थे, जो बंबई में सुंदर क्रिकेट क्लब और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की ओर से खेलते थे। पाकिस्तान के क्रिकेट इतिहास पर लिखी एक किताब में यह दावा किया गया है। किताब में लिखा गया है कि अगर भुट्टो पढ़ाई के लिए कैलिफोर्निया की जगह ऑक्सफोर्ड जाते

By Edited By: Published: Sun, 20 Jul 2014 09:17 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jul 2014 09:17 PM (IST)
उपयोगी बल्लेबाज थे पाक के पूर्व प्रधानमंत्री भुट्टो

नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो दायें हाथ के उपयोगी बल्लेबाज थे, जो बंबई में सुंदर क्रिकेट क्लब और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की ओर से खेलते थे। पाकिस्तान के क्रिकेट इतिहास पर लिखी एक किताब में यह दावा किया गया है।

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किताब में लिखा गया है कि अगर भुट्टो पढ़ाई के लिए कैलिफोर्निया की जगह ऑक्सफोर्ड जाते तो वह उसकी क्रिकेट टीम में जगह बना सकते थे। कई प्रतिष्ठित क्रिकेटर ऑक्सफोर्ड का हिस्सा रह चुके हैं, जिन्होंने बाद में अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व भी किया। इन खिलाड़ियों में इमरान खान, डगलस जार्डिन और माइक स्मिथ अहम हैं।

ब्रिटिश पत्रकार पीटर ओबर्न द्वारा पाकिस्तान के क्रिकेट इतिहास पर लिखी किताब 'वाउंडेड टाइगर : ए हिस्ट्री ऑफ क्रिकेट इन पाकिस्तान' में खेल के प्रति देश की दीवानगी, इसके राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास के अलावा पूर्व खिलाड़ियों और शीर्ष प्रशासकों की स्मृतियों का भी जिक्रहै। इस किताब के अनुसार भुट्टो एक स्टार प्रशंसक से अधिक थे। उन्होंने सुंदर क्लब की ओर से कभी-कभी पारी की शुरुआत भी की। किताब के अनुसार अपनी आत्मकथा में अब्दुल हफीज कारदार ने आकलन किया है कि अगर भुट्टो पहले ऑक्सफोर्ड और बाद में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय जाते तो वह इतने अच्छे क्रिकेटर थे कि उसकी टीम में जगह बना सकते थे।

किताब में पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के क्रिकेट प्रेम का भी जिक्रकिया गया है। शरीफ ने एक प्रथम श्रेणी मैच खेला, लेकिन वह इसमें खाता भी नहीं खोल पाए। इसके अलावा वह विश्व कप से पहले इंग्लैंड के खिलाफ अभ्यास मैच भी खेले, लेकिन एक रन बनाने के बाद फिल डिफ्रेटस की गेंद पर बोल्ड हो गए।

ओबर्न का मानना है कि अपने अधिकांश उत्तराधिकारियों के विपरीत पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की क्रिकेट में अधिक दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने संभवत: कराची में सिंध मदरसा में स्कूली शिक्षा के दौरान क्रिकेट खेला। लेखक के अनुसार एक समय के बाद पाकिस्तान का क्रिकेट लेखन गलत हाथों में चला गया। खास तौर से उन लोगों के हाथों में जो इस देश को पसंद नहीं करते थे और पूर्वाग्रह से ग्रस्त थे जिसकी वजह से उसकी छवि खराब होती चली गई।

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