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हैदराबाद एनकाउंटर पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश बोले, क्या हम अराजकता वाले समाज की ओर बढ़ रहे

लोढ़ा ने कहा कि देश के एक हिस्से में हर दिन दुष्कर्म और हत्या की घटनाएं हो रही हैं। इस तरह के अपराध समाज में व्याप्त गहरी दुर्भावना को दर्शाते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 12:46 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 07:14 AM (IST)
हैदराबाद एनकाउंटर पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश बोले, क्या हम अराजकता वाले समाज की ओर बढ़ रहे
हैदराबाद एनकाउंटर पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश बोले, क्या हम अराजकता वाले समाज की ओर बढ़ रहे

नई दिल्ली, प्रेट्र। हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या मामले का जिक्र करते हुए देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने मंगलवार को सवाल किया, 'क्या हम अराजकता वाले समाज की ओर बढ़ रहे हैं।' वहीं, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता को जला देना और हैदराबाद सामूहिक दुष्कर्म-हत्या मामले में चार आरोपितों के शव, भारत के दो पहलुओं की सटीक तस्वीर पेश करता है।

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दोनों न्यायमूर्ति यहां अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थान द्वारा आयोजित मानवाधिकार दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। जस्टिस लोढ़ा ने कहा, 'हम मानवाधिकार दिवस मना रहे हैं, दूसरी ओर यह भी तथ्य है कि हम मानवाधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसका स्पष्ट उदाहरण हैदराबाद में पशु चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या तथा पुलिस मुठभेड़ में आरोपितों के मामले में देखने को मिलता है।'

लोढ़ा ने कहा, 'देश के एक हिस्से में हर दिन दुष्कर्म और हत्या की घटनाएं हो रही हैं। इस तरह के अपराध समाज में व्याप्त गहरी दुर्भावना को दर्शाते हैं। अपराधी बर्बर अपराध करने से नहीं डर रहे। पुलिसिया मुठभेड़ में चारों आरोपितों का मारा जाना दुखद है। क्या हम अराजकता वाले समाज की ओर बढ़ रहे हैं।'

मानवाधिकार आयोग को अब तक मिलीं 18 लाख शिकायतें

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को 1993 में उसकी स्थापना के बाद से अब तक 18 लाख से ज्यादा शिकायतें मिली हैं उनमें से केवल 22,000 ही लंबित हैं। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की एक रिपोर्ट में मंगलवार को यह दावा किया गया। मानवाधिकार दिवस पर जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, देश की शीर्ष मानवाधिकार एजेंसी ने 2016 तक हिरासत में हुई मौतों के 31,845 मामले दर्ज किए। आयोग ने 2017 और 2018 के आंकड़े अभी जारी नहीं किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2007-08 के दौरान हिरासत में मौत के सबसे अधिक 1,977 मामले दर्ज किए गए। हिरासत में मौत के सबसे अधिक मामले पंजाब (1,860) में दर्ज किए गए। इसके बाद पश्चिम बंगाल (1,718) रहा।

दुष्कर्म पीड़िता बच्ची पर बनी फिल्म को एनएचआरसी का प्रथम पुरस्कार

दुष्कर्म पीड़िता बच्ची और उसे न्याय दिलाने के लिए उसके परिवार की मुश्किलों पर बनी विशाल कुंभार की शॉर्ट फिल्म 'कुंभिल शिवा' को मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की ओर से दिया जाने वाला प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। इस मौके पर आयोग के चैयरपर्सन जस्टिस एचएल दत्तू ने कहा कि आयोग ने अगले साल से पुरस्कार राशि दोगुनी करने का फैसला किया है। इसके तहत प्रथम पुरस्कार राशि एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपये, द्वितीय पुरस्कार के लिए 75 हजार से बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपये और तृतीय पुरस्कार के लिए 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी जाएगी। इस साल का द्वितीय पुरस्कार अर्नेस्ट रोसारियो की फिल्म 'ट्रांससेंडर' और तृतीय पुरस्कार विजेंद्र श्याम की फिल्म 'गुल्प' को प्रदान किया गया।


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