सुदर्शन टीवी के शो के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पूर्व नौकरशाह, दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगाने से किया था मना
दिल्ली हाई कोर्ट ने 11 सितंबर को कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नौकरशाही में मुस्लिमों की कथित 'घुसपैठ' पर सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम 'बिंदास बोल' के प्रसारण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका में पक्षकार बनाने के लिए सात पूर्व नौकरशाहों ने याचिका दायर की है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 11 सितंबर को कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। केंद्र सरकार द्वारा कार्यक्रम के मंजूरी देने वाले फैसले को चुनौती देते हुए जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने याचिका दायर की थी। हालांकि, न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार, सुदर्शन चैनल व प्रधान संपादक सुरेश चव्हाण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। याचिका पर अगली सुनवाई 18 नवंबर को रखी गई थी। इस कार्यक्रम के प्रोमो में दावा किया गया था कि चैनल सरकारी सेवाओं में मुसलमानों की 'घुसपैठ' की साजिश पर बड़ा पर्दाफाश करेगा।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 28 अगस्त को वकील फिरोज इकबाल खान की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान चैनल पर कार्यक्रम के प्रसारण से पहले प्रतिबंध लगाने से इन्कार कर दिया था। अमिताभ पांडे और नवरेखा शर्मा समेत पूर्व नौकरशाहों ने अनौपचारिक 'संवैधानिक आचरण समूह' बनाकर एक याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि शीर्ष कोर्ट को इस तथ्य के मद्देनजर 'द्वेषपूर्ण बयानों' पर अधिकार के साथ घोषणा करनी चाहिए कि उसने मौजूदा मामले में बोलने की स्वतंत्रता और अन्य संवैधानिक मूल्यों के बीच संतुलन की मंशा व्यक्त की थी।