ग्वालियर : जिनके नाम से कांपता था चंबल, अब उन्हीं के पास फरियाद लेकर जाते हैं ग्रामीण
पूर्व दस्यु सिकरवार अब 70 साल के हो चुके हैं और कराहल तहसील के गांव लहरोनी में खेती करके जीवनयापन कर रहे हैं। उम्रदराज होने के बावजूद सिकरवार लोगों की समस्याएं निपटाने में लगे हैं। लहरोनी के साथ वे अन्य गांवों की भी मदद कर रहे हैं।
ग्वालियर [मनोज श्रीवास्तव]। चाचा ने पिता के हिस्से की जमीन पर कब्जा उन्हें घर से निकल दिया। वे दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हो गए। पिता के साथ हुई इस नाइंसाफी के लिए बेटे ने बंदूक उठाई और चाचा की हत्या करने के बाद बीहड़ में कूद गया। यह व्यक्ति और कोई नहीं रमेश सिकरवार था। कभी बागी बनकर चंबल-ग्वालियर संभाग में 70 से ज्यादा लोगों की हत्याएं और 250 से ज्यादा डकैती की वारदातों को अंजाम देने वाले पूर्व दस्यु सिकरवार अब आदिवासियों के मददगार बन गए हैं। जिनके नाम से कभी चंबल कांपता था, अब उन्हीं के पास ग्रामीण फरियाद लेकर जाते हैं। वे अब तक आधा सैकड़ा से अधिक आदिवासियों की जमीनों को दबंगों से मुक्त करा चुके हैं।
पूर्व दस्यु सिकरवार अब 70 साल के हो चुके हैं और कराहल तहसील के गांव लहरोनी में खेती करके जीवनयापन कर रहे हैं। 1974 में अपने चाचा की हत्या करने के करीब 10 साल बाद 27 अक्टूबर 1984 को 18 शर्तों के साथ उन्होंने आत्मसमर्पण किया था, लेकिन 2012 में डबल मर्डर केस के बाद वे एक बार फिर से चर्चा में आ गए। हत्या के आरोप में वे करीब 10 माह तक फरार भी रहे। इस दौरान एकता परिषद के संपर्क में आने के बाद उन्होंने दूसरी बार समर्पण कर दिया। हालांकि कोर्ट ने 2013 में उन्हें इस डबल मर्डर केस से बरी कर दिया। जेल से बाहर आने के बाद वे आदिवासियों के लिए काम करने वाली समाजसेवी संस्था एकता परिषद से जुड़ गए। यहीं से उनके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आया और वे गरीब-आदिवासियों की मदद करने लगे।
कई गांवों में जाते हैं मदद करने
उम्रदराज होने के बावजूद सिकरवार लोगों की समस्याएं निपटाने में थकते नहीं हैं। वे लहरोनी ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों से लेकर श्योपुर व शिवपुरी के गांवों तक जाकर लोगों की समस्याएं निपटा रहे हैं। उन्होंने अब तक सोईकलां के गणेश बैरागी, रामगांवड़ी के महावीर और लहरोनी के सरपंच लख्खू आदिवासी सहित 50 से ज्यादा लोगों की जमीनों को दबंगों के चंगुल से मुक्त कराया है। जमीन से जुड़े गंभीर मामलों में लोग प्रशासन से ज्यादा उन पर भरोसा करने लगे हैं। सिकरवार कानून की मदद लेने के लिए अधिकारी से मिलने चले जाते हैं। इस वजह से थानेदार से लेकर तहसीलदार और अन्य आला अधिकारी उन पर भरोसा भी करने लगे हैं।
लहरोनी के सरपंच लख्खू आदिवासी ने बताया, 'रमेश सिकरवार लोगों की समस्याएं निपटाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने मेरी भी जमीन दबंग भू-माफिया से मुक्त करवाई थी। कई अन्य लोगों की समस्याएं भी वह निपटा
पूर्व दस्यु रमेश सिकरवार ने कहा, '10 साल बीहड़ों में बिताने के दौरान मेरी गैंग ने किसी भी गरीब और निर्दोष को कभी नहीं सताया। गद्दारी करने वालों को कभी छोड़ा नहीं। अब गरीबों की मदद करने में करने में बहुत आनंद और आत्मसंतुष्टि की अनुभूति होती है।'
कराहल तहसीलदार शिवराज मीणा ने बताया, 'सिकरवार कई बार मेरे पास आदिवासियों की जमीन पर अतिक्रमण के संबंध में शिकायत लेकर आए हैं। कुछ समय पहले ग्रामीण प्रह्लाद सिंह की जमीन के विवाद का मामला भी इन्हीं ने सुलझाने में मदद की थी।'