कहीं लीक ना हो जाए जानकारी इसलिए इस मैसेजिंग प्लेटफॉर्म इस्तेमाल कर रहे आतंकी, जानें कैसे काम करता है यह एप्लिकेशन
ऐसे में जब लोग व्हाट्सऐप से टेलीग्राम और सिग्नल पर स्विच कर रहे हैं भारत समेत दुनियाभर में आतंकी अपने साथियों के साथ संवाद करने के लिए बिना कोई डिजिटल सुराग छोड़े अति सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल करने लगे हैं।
नई दिल्ली, आइएएनएस। निजता और गोपनीयता की चिंताओं को लेकर जारी बहस के बीच आतंकी भी बेहद सतर्कता बरतने लगे हैं। ऐसे में जब कई लोग व्हाट्सऐप से टेलीग्राम और सिग्नल पर स्विच कर रहे हैं लेकिन भारत समेत दुनियाभर में आतंकी अपने साथियों और आकाओं के साथ संवाद करने के लिए बिना कोई डिजिटल सुराग छोड़े सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल करने लगे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की छानबीन में यह खुलासा हुआ है।
ये आतंकी कर रहे थे थ्रीमा का इस्तेमाल
एनआईए (National Investigation Agency, NIA) ने इस्लामिक स्टेट इराक और सीरिया खोरासन प्रांत (Islamic State Iraq and Syria Khorasan Province, ISIS-KP) मामले की छानबीन में पाया है कि गिरफ्तार आरोपी जहांजीब सामी वानी (Jahanzaib Sami Wani) और उसकी पत्नी हिना बशीर बेग (Hina Bashir Beigh) और बेंगलुरु के डॉक्टर अब्दुल रहमान उर्फ डॉ. ब्रेव (Abdur Rahman, Dr Brave) मेसेजिंग प्लेटफॉर्म थ्रीमा का इस्तेमाल कर रहे थे।
एनआइए की चार्जशीट में खुलासा
बता दें कि वानी और बेग को मार्च 2020 में गिरफ्तार किया गया था जबकि रहमान अगस्त में पकड़ा गया था। एनआईए (National Investigation Agency, NIA) प्रवक्ता के मुताबिक, रहमान भारत और विदेश के आईएस आतंकियों के साथ नियमित रूप से एक सुरिक्ष मैसेजिंग प्लेटफॉर्म थ्रीमा के जरिए संपर्क में था। यही नहीं जहांजीब सामी वानी भी यही मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहा था। आतंकवाद-रोधी जांच एजेंसी ने रहमान के खिलाफ दायर आरोपपत्र में यह खुलासा किया है।
लेजर-गाइडेड मिसाइल प्रणाली बनाने में जुटा था रहमान
रहमान दिसंबर 2013 में सीरिया से लौटा था। वह आतंकी समूह आइएस के लिए लेजर-गाइडेड मिसाइल प्रणाली विकसित करने में जुटा था। एनआईए अधिकारियों के मुताबिक, रहमान लेजर-गाइडेड सिस्टम पर एक परियोजना विकसित करने के लिए ऑप्थेलमिक संबंधी लेजर (ophthalmic lasers) ज्ञान का इस्तेमाल कर रहा था। इसके जरिए लेजर तकनीक के माध्यम से एक अनगाइडेड मिसाइल के ट्रैजेक्टरी को बदला जा सकता है। यह पहली बार नहीं है जब एनआईए ने आईएस आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के संबंध में खुलासा किया है।
क्यों सुरक्षित है यह प्लेटफॉर्म
एनआईए अधिकारियों के मुताबिक, थ्रीमा एक बेहद सुरक्षित मैसैजिंग प्लेटफॉर्म माना जाता है। इसको स्विट्जरलैंड में विकसित किया गया है। यह एक पेड ओपन सोर्स एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड इंस्टेंट मैसेजिंग एप्लिकेशन है। बड़ी बात यह कि थ्रीमा पर किसी यूजर को अकाउंट बनाने के लिए ईमेल या फोन नंबर दर्ज करने की जरूरत नहीं होती है। यूजर गुमनाम रखकर इसकी सर्विस इस्तेमाल कर सकता है। सूत्रों की मानें तो थ्रीमा यूजर के सभी ट्रैक को छुपाता भी लेता है। यही नहीं थ्रीमा सर्वर के बजाए कॉन्टैक्ट और संदेशों को यूजर के डिवाइस पर ही स्टोर करता है।
थ्रीमा के जरिए संचार को ट्रैस करना मुश्किल
एनआईए (National Investigation Agency, NIA) के एक अधिकारी ने बताया कि आतंकी थ्रीमा एप्लिकेशन के साथ-साथ इसके डेस्कटॉप संस्करण का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। यह न्यूनतम डिजिटल फुटप्रिंट छोड़ता है। इसी वजह से इसको ट्रेस करना लगभग असंभव बन जाता है। थ्रीमा का ब्राउजर-बेस्ड सुरक्षित डेस्कटॉप चैट विकल्प यूजर के आईपी एड्रेस या मेटाडेटा को लॉग नहीं करता है। यानी प्राइवेसी के लीक होने का कोई भी जोखिम इस एप्लिकेशन में नहीं है। अधिकारियों की मानें तो थ्रीमा से हुए संचार या कॉल का पता लगाना बेहद कठिन है।