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कोरोना संकट में बस्तर के जंगलों में तलाशी जा रही जड़ी-बूटी, आदिवासी कर रहे हैं मदद

कोंडगांव जिले के बागबेड़ा गांव में बबलू नेताम का परिवार पीढ़ियों से वन औषधियों से लोगों का उपचार करता आ रहा है। पूर्वजों के समय से नेताम परिवार की यह परंपरा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 12 Apr 2020 11:13 PM (IST)Updated: Sun, 12 Apr 2020 11:21 PM (IST)
कोरोना संकट में बस्तर के जंगलों में तलाशी जा रही जड़ी-बूटी, आदिवासी कर रहे हैं मदद
कोरोना संकट में बस्तर के जंगलों में तलाशी जा रही जड़ी-बूटी, आदिवासी कर रहे हैं मदद

रोशन सेन, कांकेर। छत्तीसगढ़ स्थित बस्तर के जंगलों में ऐसी वन औषधियां पाई जाती हैं जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाती हैं। कोरोना संकट के दौर में अब प्रदेश का वन विभाग बस्तर की जड़ी बूटियों की खोज में जुट गया है। छत्तीसगढ़ राज्य वन औषधि पादप बोर्ड के एमडी, पीसीसीएफ जेसीएस राव खुद बस्तर के जंगलों में वनौषधियों की तलाश करा रहे हैं। वन विभाग इस काम में ऐसे आदिवासियों की मदद ले रहा है जो परंपरागत ज्ञान के आधार पर इन औषधियों से उपचार करते हैं।

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कोंडगांव जिले के बागबेड़ा गांव में बबलू नेताम का परिवार पीढ़ियों से वन औषधियों से लोगों का उपचार करता आ रहा है। पूर्वजों के समय से नेताम परिवार की यह परंपरा है। आदिवासी वन औषधियों को दैवीय उपकार मानते हैं लिहाजा वह उपचार मुफ्त में करते हैं।

पंजाब और राजस्थान से भी इलाज कराने आते है लोग

बबलू नेताम की ख्याति इतनी है कि दुर्लभ बीमारियों का उपचार कराने बस्तर और छत्तीसगढ़ से ही नहीं, पंजाब, राजस्थान, झारखंड और देश के अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं। कोरोना वायरस ने दुनियाभर में कोहराम मचाया तो इससे बचने का उपाय पूछने भी उनके पास रोज लोग आ रहे हैं। उनकी ख्याति सुनकर पीसीसीएफ जेसीएस राव और कोंडागांव डीएफओ उत्तम गुप्ता भी बागबेड़ा पहुंचे। उन्होंने बबलू के साथ गांव के आसपास के जंगलों का भ्रमण किया और प्राकृतिक परिवेश में पाई जाने वाली वन औषधियों की पहचान की। उन्होंने औषधियों के उपयोग और इनकी खेती करने की संभावनाओं पर चर्चा की। बबलू नेताम ने बताया कि बस्तर की जड़ी बूटियों में दैवीय शक्ति होती है। कई औषधियां ऐसी हैं जिनका नियमित सेवन करने से बीमारी पास भी नहीं फटकती। उन्होंने कहा कि कोरोना हो या कोई अन्य वायरस, इम्यूनिटी मजबूत होगी तो बीमारी होगी ही नहीं। वन्य जड़ी बूटियां सर्पगंधा, अश्वगंधा, हाथी कांदा, जंगली हल्दी, जंगली मूली, गिलोय, लाजवंती, हरण, शंखपुष्पी, शनिदेव झाड़, आंवला, बेहड़ा आदि वन औषधियां जंगल में मिल जाती हैं। सौंफ, अजवाइन आदि दुकान से खरीदना पड़ता है। गिलोय, लवांग, काली मिर्च, शनि देव छिलका आदि से तैयार जूस इम्यूनिटी बढाने में काम आता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगार

छत्तीसगढ़ के राज्य वन औषधि पादप बोर्ड के पीसीसीएफ व एमडी जे सी एस राव ने बताया कि बस्तर में पाई जाने वाली वन औषधियां रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर हैं। यह देखने बस्तर गया था कि वनवासी किन औषधियों का उपयोग करते हैं। वहां काफी जानकारी मिली। वन औषधियों के रोपण से स्थानीय लोगों को लाभ दिलाने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।


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