विदेश मंत्रालय ने सिख लड़की के अपहरण मामले में पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी को किया तलब
पाकिस्तान में गुरुद्वारे के ग्रंथी की नाबालिग बेटी के अपहरण मामले में विदेश मंत्रालय ने पाक उच्चायोग के एक वरिष्ठ अधिकारी को तलब किया। अपहरण की इस घटना के विरोध में सिखों ने दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर सोमवार को जमकर प्रदर्शन किया।
नई दिल्ली, एजेंसियां। पाकिस्तान में गुरुद्वारे के ग्रंथी की नाबालिग बेटी के अपहरण मामले का विदेश मंत्रालय ने संज्ञान लिया है। उसने पाकिस्तान उच्चायोग के एक वरिष्ठ अधिकारी को तलब किया। यह जानकारी सूत्रों ने दी। वहीं दूसरी ओर अपहरण के विरोध में सिखों ने दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर सोमवार को प्रदर्शन भी किया। उन्होंने पीड़ित परिवार को इंसाफ मिलने तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया। अन्य देशों में रहने वाले सिखों से भी आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया गया।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में दोपहर प्रदर्शनकारी तीन मूर्ति चौक से नारेबाजी करते हुए पाक उच्चायोग की ओर बढ़ने लगे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया। प्रदर्शनकारियों ने वहां जोरदार नारेबाजी की। बाद में उच्चायोग को ज्ञापन सौंपकर अगवा लड़की को उसके परिवार को सौंपने की मांग की गई। सिरसा ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं। पिछले तीन माह में वहां 55 लड़कियां अगवा की गई हैं। यह सिख धर्म पर हमला है।
मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि एक साजिश के तहत सिख ग्रंथियों की बेटियों को निशाना बनाया जा रहा है। पाक की इमरान सरकार औरंगजेब से भी ज्यादा जुल्म कर रही है। वहीं दूसरी ओर जेनेवा में मानवाधिकार परिषद के 45वें सत्र में भारत ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में पाकिस्तान पर राजनीतिक दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया जो भारत के अंदरूनी मामलों के बारे में भ्रामक जानकारियों और निर्मूल संदर्भों से परिपूर्ण है।
जेनेवा में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव सेंथिल कुमार ने कहा, पाकिस्तान के लिए यह बेहतर होगा कि दूसरों के बारे में बोलने से पहले वह अपना घर दुरुस्त करे। पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप चिंताजनक हैं जो लोगों को हिंसा के खतरे में डाल देते हैं। खास तौर पर महिलाओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ। कुमार ने कहा कि मानवाधिकार परिषद ने पाकिस्तानी अधिकारियों से मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरिस खटक की गुप्त हिरासत को खत्म करने का आह्वान किया था जिनके बारे में नौ महीने से किसी को कोई जानकारी नहीं है।