विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले, राष्ट्रीय अखंडता और एकता को कमजोर करने वाले प्रयासों की अनदेखी नहीं कर सकता भारत
पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि लंबे समय की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता आज एक पड़ोसी द्वारा सतत तौर पर सीमा पार आतंकवाद के रूप में व्यक्त की जा रही है। उन्होंने कहा दुनिया एक प्रतिस्पर्धात्मक स्थल है और भारत के उदय को लेकर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं होंगी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत का उदय अपने साथ तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं भी लेकर आएगा और देश के प्रभाव को कम करने तथा उसके हितों को सीमित करने के प्रयास भी किए जाएंगे। दूसरे मनोहर पर्रीकर स्मृति व्याख्यान में जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने अपने वैश्विक हितों और पहुंच का विस्तार किया है और उसके अपने हार्ड पावर (सैन्य और आर्थिक शक्तियों) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्थितियां अब और मजबूत हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि उदयमान भारत के सामने आ रही राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियां निश्चित रूप से अलग होने जा रही हैं। उन्होंने जोर दिया कि विदेश और सैन्य नीतियों में ज्यादा एकरूपता होनी चाहिए।
हितों को सीमित करने के होंगे प्रयास
पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि लंबे समय की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता आज एक पड़ोसी द्वारा सतत तौर पर सीमा पार आतंकवाद के रूप में व्यक्त की जा रही है। उन्होंने कहा, दुनिया एक प्रतिस्पर्धात्मक स्थल है और भारत के उदय को लेकर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं होंगी। हमारे प्रभाव को कम करने और हमारे हितों को सीमित करने के प्रयास होंगे। इनमें से कुछ प्रतिस्पर्धाएं सीधे सुरक्षा क्षेत्र में हो सकती हैं, तो अन्य आर्थिक क्षेत्र, संपर्क और सामाजिक संदर्भो में भी परिलक्षित हो सकती हैं।
राष्ट्रीय अखंडता और एकता को कमजोर करने की साजिशों की नहीं कर सकते उपेक्षा
भारत के समक्ष सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि देश राष्ट्रीय अखंडता और एकता को कमजोर करने वाले प्रयासों की अनदेखी नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, बेहद कम प्रमुख राष्ट्र हैं जिनकी अब भी उस तरह की अशांत सीमाएं हैं जैसी हमारी हैं। एक बेहद अलग चुनौती है, जिसका सामना हम वर्षो से कर रहे हैं, वह है एक पड़ोसी द्वारा हम पर थोपा गया आतंकवाद। हम अपनी राष्ट्रीय अखंडता और एकता को कमजोर करने की साजिशों की भी उपेक्षा नहीं कर सकते।
जयशंकर ने कहा, लंबी सीमाओं और बड़े समुद्री क्षेत्र की चुनौतियां भी हैं। ऐसे अनिश्चित माहौल में संचालन करने वाली सरकार की सोच और योजना स्वाभाविक रूप से सुरक्षा को वरीयता देने वाली होनी चाहिए।