AAP सरकार को बड़ा झटका, LG ने 97 करोड़ वसूलने के दिए निर्देश
आप पार्टी द्वारा सरकारी खजाने के दुरुपयोग पर दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने नाराजगी जताते हुए खजाने में 97 करोड़ जमा कराने के निर्देश दिए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। उपराज्यपाल अनिल बैजल और अरविंद केजरीवाल के बीच एक महीने में टकराव का दूसरा मामला सामने आया है। बुधवार को उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव एमएम कुट्टी को आम आदमी पार्टी (आप) से विज्ञापन मद में खर्च 97 करोड़ रुपये वसूलने के निर्देश दिए हैं। आम आदमी पार्टी सरकार पर विज्ञापन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देश के उल्लंघन का आरोप है। इसके साथ ही उपराज्यपाल ने संबंधित मामले में जांच के आदेश भी दिए हैं।
2015-16 के दौरान दिए गए विज्ञापनों को सुप्रीम कोर्ट की दिशा-निर्देश के खिलाफ पाए जाने के बाद आप को 97 करोड़ रुपये चुकाने को कहा गया है। पिछले वर्ष मई में, कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल सरकार ने तीन महीनों के भीतर विज्ञापनों पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। एक आरटीआइ का हवाला देते हुए कांग्रेस ने कहा था कि 'केजरीवाल इस पैसे का उपयोग दिल्ली के लोगों के फायदे के लिए कर सकते थे, मगर उन्होंने ऐसा किया ही नहीं।' कुछ दिन बाद, कांग्रेस नेता अजय माकन ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी के सामने एक शिकायत भी दर्ज कराई थी।
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उपराज्यपाल के इस निर्देश से पहले भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना कर करोड़ों रुपये के विज्ञापन जारी किए थे। दिल्ली सरकार ने करोड़ों रुपये के विज्ञापन अन्य राज्यों में खर्च किए हैं। वह पार्टी को प्रमोट करने के लिए था, न कि सरकार की नीतियों के । विभिन्न अखबारों, एजेंसियों में दिए गए इन विज्ञापनों में मुख्यमंत्री की तस्वीर का प्रयोग किया गया था। कैग की यह रिपोर्ट 10 मार्च को दिल्ली विधानसभा में पेश की गई थी। इस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के कई विभागों के कामकाज के तरीकों पर सवाल खड़े किए गए थे। कई विभागों ने तो नियमों का उल्लंघन कर सरकारी धन का इस्तेमाल किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2015 के फैसले में किसी निहित सार्वजनिक हित के बिना विज्ञापन के मनमाने ढंग से उपयोग को रोकने के लिए सरकारी विज्ञापनों के दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके तहत पांच सिद्धांतों को पारित किया गया, जिसके अनुसार विज्ञापन सरकारी दायित्वों से संबंधित होने चाहिए, विज्ञापन सामग्री विषय परक और साफ होनी चाहिए, विज्ञापन सामग्री सत्तारूढ़ दल के हितों को बढ़ावा देने वाली न हो, विज्ञापन अभियान न्यायोचित होना चाहिए और सरकारी विज्ञापन को कानूनी जरूरतों और वित्तीय नियमनों और प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए।बता दें कि इससे पहले 9 मार्च को उपराज्यपाल अनिल बैजल और दिल्ली सरकार के बीच टकराव का पहला मामला सामने आया था। उपराज्यपाल ने पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल के परिजनों को 1 करोड़ रुपये मुआवजा देने वाले केजरीवाल सरकार के प्रपोजल को खारिज करते हुए फाइल लौटा दी थी।आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। मुख्यमंत्री के कार्यालय ने कहा है कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री या पार्टी को मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
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