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DATA STORY : भारत में इतनी होती है खाने की बर्बादी, दुनिया के देशों का ऐसा है हाल

दुनियाभर में खाद्य उत्पादन का 17 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है जिसमें से 11 प्रतिशत घरों में 5 फीसद फूड सर्विस में और दो फीसद रिटेल में बर्बाद होता है। प्रति व्यक्ति खाने की बर्बादी में अधिक आय उच्च-मध्य और निम्न-मध्य आय वर्ग के देशों की स्थितियां कमोबेश समान है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 01:38 PM (IST)
DATA STORY : भारत में इतनी होती है खाने की बर्बादी, दुनिया के देशों का ऐसा है हाल
फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021 बताती है कि 2019 में दुनियाभर में करीब 931 मिलियन टन फूड वेस्ट हो गया।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। यह रिपोर्ट चेतावनी देने के साथ-साथ सबक देने वाली भी है। एक तरफ देश-दुनिया की बड़ी आबादी को समुचित रूप से दो जून की रोटी मयस्सर नहीं होती है, जबकि दूसरी तरफ दुनिया में भारत समेत सभी देशों में खाने की बर्बादी हो रही है। यह बात एक कटु सत्य है कि अगर इस बर्बादी को रोक लिया जाए तो दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोगों को भरपेट भोजन मिल सकता है।

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संयुक्त राष्ट्र की फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021 बताती है कि 2019 में दुनियाभर में करीब 931 मिलियन टन फूड वेस्ट हो गया। प्रमुख बात यह है कि इसमें से 61 फीसद बर्बाद खाना घरों से आया था। वहीं 26 फीसद खाना फूड सर्विस और 13 फीसद रिटेल से आया था। अगर आंकड़ों की बात करें तो भारत में करीब प्रति वर्ष 6.68 करोड़ टन खाना बर्बाद कर दिया जाता है। यदि इसे प्रति व्यक्ति के हिसाब से देखें तो प्रत्येक व्यक्ति हर वर्ष 50 किलोग्राम भोजन बर्बाद कर देता है।

रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में खाद्य उत्पादन का 17 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है, जिसमें से 11 प्रतिशत घरों में, 5 फीसद फूड सर्विस में और दो फीसद रिटेल में बर्बाद होता है। वहीं, प्रति व्यक्ति खाने की बर्बादी में अधिक आय, उच्च-मध्य और निम्न-मध्य आय वर्ग के देशों की स्थितियां कमोबेश समान है। आंकड़ों की बात करें तो उच्च आय वाले देशों में प्रति व्यक्ति 79 किलोग्राम खाने की बर्बादी होती है, जबकि उच्च-मध्य आय वाले देशों में 76 किलोग्राम खाने का नुकसान होता है। वहीं, निम्न आय वाले देशों में 91 किलोग्राम खाने की बर्बादी होती है।

संयुक्त राष्ट्र की फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021 के अनुसार, अगर फूड लॉस और वेस्ट को एक देश मान लिया जाए तो यह ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन का तीसरा बड़ा स्रोत होगा। अनुमान है कि जो भोजन बेकार चला जाता है, वो वैश्विक उत्सर्जन के करीब 8 से 10 फीसदी हिस्से के लिए जिम्मेवार होता है। खाने की बर्बादी के मामले में चीन और भारत क्रमश: पहले और दूसरे नंबर पर है। चीन में जहां 91.6 मिलियन टन खाने की प्रति वर्ष बर्बादी होती है, वहीं भारत में प्रति वर्ष 68.8 मिलियन टन खाने की बर्बादी होती है। अमेरिका में जहां 19.4 मिलियन टन खाने की बर्बादी होती है, वहीं फ्रांस और जर्मनी में क्रमश: पांच और छह मिलियन टन खाने की बर्बादी होती है।

भारत में जहां घरों में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 50 किलोग्राम की बर्बादी होती है, वहीं अमेरिका में 59 किग्रा प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष खाने की बर्बादी होती है। ऑस्ट्रेलिया में घरों में प्रति व्यक्ति खाने की बर्बादी सबसे अधिक है। यहां पर घरों में प्रति व्यक्ति 102 किलोग्राम खाने की बर्बादी होती है। इसके उलट रूस में प्रति व्यक्ति 33 किलोग्राम खाने की बर्बादी होती है।

यदि इस बर्बादी को रोक दिया जाए तो न केवल करोड़ों लोगों को भोजन मिल पाएगा, बल्कि इसके चलते हर वर्ष होने वाले करीब 68,39,675 करोड़ रुपए (94,000 करोड़ डॉलर) के आर्थिक नुकसान को भी टाला जा सकता है।  


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