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गैस पाइपलाइन के जरिए एक करोड़ शहरी गृहणियों को साधने की तैयारी

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने इसके लिए सिटी गैस वितरण लाइसेंसिंग योजना के तहत निविदा प्रक्रिया शुरु की।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 08 May 2018 10:05 PM (IST)Updated: Wed, 09 May 2018 09:56 AM (IST)
गैस पाइपलाइन के जरिए एक करोड़ शहरी गृहणियों को साधने की तैयारी
गैस पाइपलाइन के जरिए एक करोड़ शहरी गृहणियों को साधने की तैयारी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उज्जवला योजना से ग्रामीण क्षेत्र की गरीब महिलाओं को साधने के बाद सरकार की नजर अब शहरी गृहणियों पर है। देश के 22 राज्यों के 174 जिलों की एक करोड़ गृहणियों के रसोई घर को सीधे गैस पाइपलाइन से जोड़ने का अभियान मंगलवार को शुरु किया गया। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने इसके लिए सिटी गैस वितरण लाइसेंसिंग योजना के तहत निविदा प्रक्रिया शुरु की। इससे उक्त शहरों में पाइपलाइन से गैस देने वाली कंपनियों का चयन होगा। इस योजना के पूरा होने पर देश की 29 फीसद आबादी के रसोई घर तक सीधे कूकिंग गैस पहुंचने लगेगी। इस पर 70 हजार करोड़ रुपये की लागत आने के आसार हैं।

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प्रधान का कहना है कि शहरी क्षेत्र के लोगों को भी आसानी से कूकिंग गैस मिलने की प्रक्रिया तेज की जाएगी। सरकार की मंशा है कि वर्ष 2020 तक एक करोड़ परिवारों को सीधे उनके रसोई घर में गैस मिले। यह सरकार व ग्राहकों दोनों के लिए फायदे का सौदा है। सरकार के लिए फायदे की बात यह है कि इस पर कोई सब्सिडी का झंझट नहीं है। ग्राहकों को फायदा यह है कि उन्हें सस्ती दर पर पर्याप्त गैस मिलने का रास्ता साफ होगा। आम तौर पर देखा गया है कि पाइपलाइन के जरिए मिली गैस से खाना बनाने वाले परिवारों का खर्च सामान्य एलपीजी सिलेंडर से कम होता है। प्रधान ने बताया कि सरकार चाहती है कि देश की अर्थव्यवस्था में गैस की हिस्सेदारी बढ़े। अभी यह हिस्सेदारी 6.5 फीसद है जबकि इसे बढ़ा कर 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2014 में सिर्फ 73 जिलों में पाइपलाइन से कूकिंग गैस की आपूर्ति उपलब्ध थी। लेकिन अब यह 174 जिलों में उपलब्ध होगी।

सिटी गैस वितरण लाइसेंसिंग योजना का यह नौवां दौर होगा। इसमें उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, फैजाबाद, अमेठी, राय बरेली, उत्तराखंड के देहरादून, मध्य प्रदेश के भोपाल, महाराष्ट्र के अहमदनगर, पंजाब के लुधियाना व जालंधर समेत कई जिला मुख्यालयों को शामिल किया गया है। इस दौर के पहले इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड, गेल गैस लिमिटेड जैसी कंपनियों को 91 लाइसेंस दिए जा चुके हैं। ये कंपनियां देश में 42 लाख घरों को कूकिंग गैस की आपूर्ति कर रही हैं। नौवें दौर में सरकार ने लाइसेंस देने की मौजूदा प्रक्रिया को भी बदला है। अब तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर लगाने वाली और तेजी से पाइपलाइन से गैस कनेक्शन देने वाली कंपनियों के प्रस्ताव को तरजीह दी जाएगी। निविदा में सफल होने वाली कंपनियों को हर एक शहर में आठ वर्षों के लिए सिटी गैस वितरण का एक्सक्लूसिव लाइसेंस दिया जाएगा। अभी पांच वर्षो के लिए यह लाइसेंस दिया जाता है।


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