बाढ़ की विभीषिका झेल रहा केरल ने नम आंखों से मनाया ओणम का त्योहार
ओणम पर केरल का नजारा ठीक वैसा ही होता है, जैसा दीवाली पर उत्तर भारत में होता है। इसे सभी धर्मों के लोग समान रूप से मनाते हैं।
नीलू रंजन, चेंगलुरु (केरल)। केरल नम आंखों के साथ नए साल का स्वागत कर रहा है। पानी उतरने के बाद कीचड़ से भरे घरों में लौटे लोग जिंदगी की डोर फिर से तलाशने की कोशिश में जुटे हैं, तो अभी तक हजारों लोग कैंपों में अपने घर लौटने के इंतजार में रह रहे हैं, लेकिन तमाम मुश्किलों के बीच कैंपों में भी लोग ओणम का त्योहार मनाते देखे गए। फूल नहीं मिले तो लड़कियां नमक में रंग मिलाकर रंगोली बना रही थी। मलयाली नए साल पर उनका संदेश साफ है,। आपदा कितनी भी बड़ी हो, जीने की जीजिविषा नहीं छीन सकती है।
ओणम पर केरल का नजारा ठीक वैसा ही होता है, जैसा दीवाली पर उत्तर भारत में होता है। इसे सभी धर्मों के लोग समान रूप से मनाते हैं। लेकिन सौ साल बाद सबसे बड़ी बाढ़ की विभीषिका झेल रहे केरल में न तो बाजारों में रौनक दिखी और न ही लोगों में उल्लास। लोग घरों में ही नम आंखों के साथ नए साल का स्वागत करते दिखे। यहां तक कि राहत कैंप में रह रहे लोग नए साल के स्वागत में पीछे नहीं रहे।
तिरुवला के तिरुमला सेंट थामस स्कूल में लगे कैंप में पूरे परिवार के साथ रह रहे अजय कुमार कहते हैं कि चाहे जो भी स्थिति हो ओणम तो मनाना है। वे दिखाते हैं कि कैसे इस बार कैंप में फूल नहीं होने के कारण नमक में रंग मिलाकर रंगोली बनाई जा रही है। अजय कुमार और उन जैसे इस कैंप में रह रहे 152 लोगों के पास घर के नाम पर कुछ नहीं बचा है। उनके अनुसार उनका घर पंपा नदी के तट पर है और बाढ़ में सब कुछ बह गया। उनके गांव में पानी अब भी भरा है, लेकिन जैसे ही पानी निकलेगा, वे परिवार समेत अपने गांव चले जाएंगे। इसी तरह से एसएनडीपी हाई स्कूल, चातंगरी के कैंप में रह रहे परिवार भी ओणम की तैयारी में जुटे दिखे।
एनजीओ और सरकार की ओर मिली राहत सामग्री से ही ओणम के लिए विशेष खाना बनाने में सारी औरतें जुटी थी। यहां एनजीओ की ओर से हर परिवार के लिए ओणम के विशेष नए कपड़े भी दिए गए थे। इसके पास ही एक दूसरे कैंप में निरीक्षण करने आए केरल के सिंचाई मंत्री मैथ्यू टी थॉमस ने कहा कि बाढ़ से लोगों को हुए नुकसान की भरपाई तो नहीं जा सकती है। लेकिन सरकार की ओर से उन्हें हरसंभव सहायता देने की कोशिश की जा रही है। थॉमस ने कैंप में विस्थापितों के साथ ही ओनम के अवसर पर तैयार विशेष खाना भी खाया।
बच्चों के बस्ते की चिंता
सरकार और एनजीओ की मदद से बाढ़ पीडि़तों के लिए खाने-पीने के सामान को कोई कमी नहीं है। लेकिन बच्चों की कॉपी-किताब पेंसिल व अन्य सामान कहीं से नहीं आ रहा है। बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित पंचायत निरनुम की पंचायत प्रमुख लता प्रसाद के अनुसार बाढ़ के पानी में अन्य घरेलू सामान के साथ-साथ बच्चों के पढ़ाई-लिखाई का सामान भी खराब हो गया।
अपने पंचायत में खुद ही राहत सामग्री वितरण की जिम्मेदारी संभाल रही लता प्रसाद कहती है कि खाने-पीने के सामान की कोई कमी नहीं है, लेकिन बच्चों के किताबें, कॉपी, पेंसिल और अन्य सामान कहीं से नहीं आ रहा है। इसके साथ ही महिलाओं के पहनने के लिए कपड़ों की भी कमी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने सरकार को अवगत करा दिया है। लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।