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श्रीकृष्ण के रास की तान छेड़ते हैं मजहर अपनी बांसुरी से

फिलहाल वह मुंबई के प्रभादेवी स्थित रवींद्र नाट्य मंदिर में आयोजित 8वीं बांसुरी उत्सव में शिरकत करने पहुंचे हैं।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 22 Aug 2016 06:20 AM (IST)Updated: Mon, 22 Aug 2016 06:54 AM (IST)
श्रीकृष्ण के रास की तान छेड़ते हैं मजहर अपनी बांसुरी से

मुंबई। मजहर शेख जब होठों में बांसुरी लगाकर तान छेड़ते हैं, तो उन्हें सुनने वाले सम्मोहित हो जाते हैं। उनकी बांसुरी से निकलने वाली उदास धुन लोगों को सम्मोहित कर लेती है।

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ऐसा लगता है मानो ब्रज की गोपियों को कान्हा रिझाने की कोशिश कर रहे हों। हालांकि, यह सब इतना आसान भी नहीं है। मजहर के कुछ मुसलमान दोस्त भगवान श्रीकृष्ण के वाद्ययंत्र को बजाने के लिए उनकी आलोचना भी करते हैं।

इनके जवाब में 38 वर्षीय मजहर कहते हैं कि संगीत का कोई मजहब नहीं होता है। वह कहते हैं कि मैं बांसुरी इसलिए बजाता हूं क्योंकि इससे मुझे परम आनंद की प्राप्ति होती है। उनके वादन को सुनकर पंडित हरिप्रसाद चौरसिया भी तारीफ करने से खुद को नहीं रोक सके।

बदलापुर निवासी मजहर महज 10 साल की उम्र नेत्रहीन हो गए थे। नेत्रहीन स्कूल में पढ़ई के दौरान ही बांसुरी से उनका परिचय हुआ और उन्होंने इस वाद्ययंत्र को अपना बना लिया।

फिलहाल वह मुंबई के प्रभादेवी स्थित रवींद्र नाट्य मंदिर में आयोजित 8वीं बांसुरी उत्सव में शिरकत करने पहुंचे हैं। यहां वह 100 कलाकारों के ग्रुप में शामिल हैं, जो अपनी तानों से किसी को भी सम्मोहित कर सकते हैं।

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