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दीपावली के बारे में प्रचलित पांच किंवदंतियां

नई दिल्ली। दीपावली प्रकाश का त्योहार है। इस त्योहार को अश्विनी महीने के अंतिम दिन और कार्तिक महीने के शुरुआत में मनाया जाता है। शुरु के 15 दिन को अश्विनी माह का कृष्णपक्ष, जबकि बाकी के दिनों को कार्तिक का शुक्लपक्ष पक्ष कहा जाता है। इस त्योहार के बारे कई प्रकार की किद्वतियां हैं जिनमें से पांच प्रमुख इस प्रकार ह

By Edited By: Published: Tue, 13 Nov 2012 01:57 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2012 03:02 PM (IST)

नई दिल्ली। दीपावली प्रकाश का त्योहार है। इस त्योहार को अश्विनी महीने के अंतिम दिन और कार्तिक महीने के शुरुआत में मनाया जाता है। शुरु के 15 दिन को अश्विनी माह का कृष्णपक्ष, जबकि बाकी के दिनों को कार्तिक का शुक्लपक्ष पक्ष कहा जाता है। इस त्योहार के बारे कई प्रकार की किद्वतियां हैं जिनमें से पांच प्रमुख इस प्रकार हैं:-

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1. भगवान राम के वनवास से वापस लौटने पर:-

हिंदू धर्म के अनुसार राजा दशरथ के बड़े पुत्र भगवान राम को 14 वर्षो के लिए पत्नी सीता और भाई लक्षमण के साथ वनवास भेजा गया था। जब वे जंगल में विचरण कर रहे थे तो राक्षस राज रावण ने भगवान राम के पत्नी सीता का हरण कर लिया था। सीता को पाने के लिए उन्हें रावण से युद्ध करना पड़ा। इस युद्ध में उन्होंने रावण का वध किया और सकुशल वनवास की अवधि समाप्त कर अयोध्या वापस लौटे। जब वे अयोध्या वापस लौटे तो वहां की प्रजा खुशी में अपने घरों को मिट्टी के दिए से सजाया। तब से लोगों के बीच दीपावली मनाने की प्रथा चल रही है।

2. लक्ष्मी के अवतार पर

हिंदू धर्म में लक्ष्मी को घन संपत्ति की देवी माना गया है। एक मान्यता यह भी है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास के अमावस्या के दिन ही वे अवतरित हुई थी। लक्ष्मी के अवतरित होने के बाद लोग दीपावली के दिन से उनकी पूजा करना शुरू कर दिया था, इसलिए दीपावली में लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

3.भगवान कृष्ण और नारकासुर

दीपावली के बारे में तीसरी कहानी भगवान कृष्ण और नारकासुर से संबंधित है। नारकासुर ने इंद्र को पराजित कर प्राज्ञज्योतिषपुर पर राज्य कर रहा था। इसने इंद्र को पराजित कर मां आदिती सहित उनकी 16000 पुत्रियां को बंदीगृह में डाल दिया।

दीपावली के दिन ही भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर को पराजित किया और बंदीगृह में बंद सभी को मुक्त किया ।

4 पांडव के वापस लौटने पर

महाभारत में कहा गया है कि पांडव जब चौसर में कौरव से हार गए तो उन्हें 13 वर्षो के लिए निर्वासन मिला था। इस अवधि को समाप्त कर पांडव कार्तिक अमावस्या को ही अपने राज्य में वापस लौटे थे। लोगों ने उनका दीपों से स्वागत किया था।

5.विक्रमादित्य का राज्याभिषेक

एक किंवदंती यह भी महान हिंदू राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक कार्तिक आमावस्या के दिन ही हुआ था। विक्रमादित्य के राज्याभिषेक पर लोगों ने मिट्टी के दिये से उनकी आरती उतारी थी।

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