भारत सहित पांच देशों में हैं सबसे अधिक बाल वधुएं, यूनिसेफ की रिपोर्ट पर जताई गई चिंता
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीता फोर ने कहा कि लड़कियों और उनके परिवारों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। स्कूलों को खोलकर स्वास्थ्य एवं परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा देकर हम बाल विवाह को रोक सकते हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। महिलाएं देश की आर्थिक तरक्की में योगदान से लेकर विकास के हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं, लेकिन आज भी यह स्थिति चिंताजनक है कि दुनिया की सबसे अधिक यानी लगभग आधी बाल वधुएं भारत समेत पांच देशों में रहती हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ ने अपनी पिछली रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया की तीन में से एक बाल वधु भारत में हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के विश्लेषण में यह जानकारी दी गई है।
संस्था ने दुनियाभर में हाल की स्थिति पर 'कोविड -19: ए थ्रेट टू प्रोग्रेस अगेंस्ट चाइल्ड मैरिज' विषय पर एक रिपोर्ट के विश्लेषण में कहा कि दशक के अंत से पहले एक करोड़ अतिरिक्त बाल विवाह हो सकते हैं। उसने इसे इस प्रथा को खत्म करने की वर्षो की प्रगति के लिए खतरा बताया। यूनिसेफ ने कहा कि दुनिया भर में आज जीवित लगभग 65 करोड़ लड़कियों और महिलाओं का विवाह बचपन में हुआ। इनमें से आधी संख्या बांग्लादेश, ब्राजील, इथोपिया, भारत और नाइजीरिया में है।
संस्था ने कहा कि लक्ष्य के मुताबिक 2030 तक इस प्रथा को समाप्त करने के लिए ठोस उपाय किए जाने की जरूरत है।यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीता फोर ने कहा कि कोरोना महामारी को एक वर्ष हो गया है। लड़कियों और उनके परिवारों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। स्कूलों को खोलकर, प्रभावी कानून और नीतियां बनाकर, स्वास्थ्य एवं परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा देकर हम बाल विवाह को रोक सकते हैं और एक लड़की से उसका बचपन छीने जाने से बचा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले दशक में लगभग 2.5 करोड़ बाल विवाह होने से रोके गए। यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि यास्मीन अली हक ने कहा कि भारत में बाल विवाह रोकने के लिए हमें सबसे गरीब परिवारों पर विशेष ध्यान देना होगा। बच्चियों की पढ़ाई और आगे चलकर नौकरी के अवसर देकर हम काफी हद तक इस प्रथा पर अंकुश लगा सकते हैं।