मछली जल की रानी है, ये उसकी दर्दनाक कहानी है, ये तस्वीर अपने में पूरी कहानी बयां करती है..
छत्तीसगढ़ में छात्रों के एक दल के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। उन्होंने तालाब में प्लास्टिक डिस्पोजल गिलास में फंसकर दम तोड़ती मछलियों को देखा तो न केवल वहां के तालाबों की सफाई का बीड़ा उठाया बल्कि एक अभियान ही छेड़ दिया।
धीरेंद्र सिन्हा, बिलासपुर। मांगलिक, शोक या अन्य कार्यक्रमों के बाद प्लास्टिक के डिस्पोजल गिलास व पानी की बोतलों को आमतौर पर लोग नाली में फेंक देते हैं। ये गिलास व बोतलें नालों से होते हुए तालाबों और नदियों तक पहुंच जाते हैं। पर्यावरण के लिए नुकसानदेह ये प्लास्टिक मछलियों के लिए सीधे तौर पर मौत का कारण बन रहे हैं। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में युवाओं ने मुहिम छेड़कर इन मछलियों और जलीय जीव-जंतुओं को बचाने का बीड़ा उठाया है। जिसका नाम दिया ‘मछली जल की रानी है, डिस्पोजल से हमें बचानी है..’
ऐसे मिली प्रेरणा: शहर के शासकीय ई. राघवेंद्र राव विज्ञान महाविद्यालय सरकंडा के विद्यार्थी गत मार्च में प्रायोगिक कार्य के लिए पास के जोरापारा तालाब में पानी का सैंपल लेने गए। उन्होंने देखा कि एक डिस्पोजल गिलास में मछली फंसकर मरी हुई है। आसपास कुछ और भी मछलियां मरी हुई दिखीं। यह देखकर छात्रों की टीम ने सफाई करने का बीड़ा उठाया। तब तालाब में 200 से अधिक बड़ी मछलियां डिस्पोजल गिलास में फंसकर मर चुकी थीं।
इस वजह से फंस जाती हैं: दरअसल, फेंके गए किसी न किसी गिलास में मछलियों को खाने का सामान मिल जाता है। उसे खाने के लिए मछलियां अपना मुंह गिलास में घुसा देती हैं, पर वे जैसे ही बाहर निकलने की कोशिश करती हैं तो उनका गलफड़ा गिलास में ही फंस जाता है। इसके बाद मछलियां उसी में दम तोड़ देती हैं। शहर के बंधवापारा, हेमूनगर, तालापारा के तालाब में भी यही हाल देखा। छात्रों ने इस पर डाक्यूमेंट्री रिपोर्ट भी तैयार कर ली है, जिसे नगर निगम आयुक्त और जिला प्रशासन के समक्ष रखकर आने वाले खतरे से परिचय कराएंगे।
तालाब को ना बनाएं डस्टबिन: युवा तालाबों में प्लास्टिक डिस्पोजल को नालियों और तालाबों में नहीं फेंकने के लिए लोगों को अपील करने के साथ फेसबुक, ट्विटर व वाट्सएप के जरिये ‘मछली जल की रानी है, डिस्पोजल से हमें बचानी है’ अभियान चला रहे हैं। इस अभियान में अब तक शहर समेत देशभर से 320 से अधिक युवा जुड़ चुके हैं और तालाब को डस्टबिन नहीं बनाने अपील भी कर रहे हैं।
शासकीय ई. राघवेंद्र राव विज्ञान महाविद्यालय के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. तरुणधर दीवान ने बताया कि विद्यार्थी तालाबों की सफाई के साथ मछलियों व जलीय जीव-जंतुओं को बचाने के लिए दो माह से काम कर रहे हैं। मेरे पास जो डाटा आया है उसमें एक तालाब से 478 शराब की बोतल, 1500 से अधिक डिस्पोज गिलास, चार टन जलकुंभी के अलावा कापी-किताब, मूíतयां, दवाई, प्लास्टिक बड़ी मात्र में मिले हैं। पानी पीना तो दूर जीव-जंतुओं के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है।