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एमपी की शिवराज सरकार का पहला बजट जून-जुलाई में विधानसभा के मानसून सत्र में होगा पेश

सत्ता परिवर्तन के कारण प्राथमिकताएं बदल गई हैं। इसके मद्देनजर वित्त विभाग सभी विभागों के साथ बैठक कर नए सिरे से बजट तैयार करेगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 07:21 PM (IST)Updated: Thu, 14 May 2020 12:42 AM (IST)
एमपी की शिवराज सरकार का पहला बजट जून-जुलाई में विधानसभा के मानसून सत्र में होगा पेश
एमपी की शिवराज सरकार का पहला बजट जून-जुलाई में विधानसभा के मानसून सत्र में होगा पेश

भोपाल, स्टेट ब्यूरो। शिवराज सरकार का पहला बजट जून-जुलाई में प्रस्तावित विधानसभा के मानसून सत्र में पेश होगा। इसमें सरकार वर्ष 2019-20 के बजट पुनरीक्षण के साथ मौजूदा वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट प्रस्तुत करेगी। कोरोना संकट का असर बजट पर भी पड़ेगा। न सिर्फ बजट का आकार इस बार घट जाएगा, बल्कि विभागों के बजट प्रावधानों में भी बड़े पैमाने पर कांट-छांट होगी।

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सत्ता परिवर्तन के कारण प्राथमिकताएं बदल गई हैं 

दरअसल, सत्ता परिवर्तन के कारण प्राथमिकताएं बदल गई हैं। इसके मद्देनजर वित्त विभाग सभी विभागों के साथ बैठक कर नए सिरे से बजट तैयार करेगा। इसमें वेतन-भत्तों के अलावा उन योजनाओं में अधिक बजट दिया जाएगा, जिससे आर्थिक गतिविधियां तेज हों। अभी सरकार अध्यादेश के जरिए लाए गए एक लाख 66 करोड़ 74 लाख 81 हजार रुपये के लेखानुदान से खर्च चला रही है।

कोरोना संक्रमण नियंत्रित रहने पर जून-जुलाई में विस का मानसून सत्र बुलाया जा सकता है 

विधान सभा सत्र का पहला काम बजट सूत्रों के मुताबिक कोरोना संक्रमण की स्थिति नियंत्रित रहने पर जून-जुलाई में विधानसभा का मानसून सत्र बुलाया जा सकता है। इसमें सरकार का सबसे पहला और बड़ा काम बजट पारित कराना होगा। कोरोना संकट की वजह से इस बार बजट सत्र का सत्रावसान जल्दी हो गया था और सत्ता परिवर्तन के कारण बजट प्रस्तुत नहीं हो पाया है। नए वित्तीय वर्ष में खर्च चलाने के लिए राज्यपाल लालजी टंडन ने अध्यादेश के जरिए एक लाख 66 करोड़ 74 लाख 81 हजार रुपये के लेखानुदान की अनुमति दी है। वित्तीय संकट के चलते इसमें से भी विभागों को फिलहाल वेतन-भत्तों सहित जरूरी खर्चो की अनुमति ही दी गई है।

करों से कमाई बुरी स्थिति में 

बताया जा रहा है कि करों से होने वाली आय की व्यवस्था इस समय केंद्र और राज्य, दोनों स्तर पर बुरे दौर से गुजर रही है। जीएसटी में काफी कमी आई है तो लॉकडाउन के कारण राज्य को वेल्यू एडेड टैक्स (वैट) के माध्यम से होने वाली सर्वाधिक आय भी आधे से कम रह गई है। ठेकेदार राज्य सरकार की देनदारी चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। वहीं, सरकार को आर्थिक गतिविधियां प्रारंभ करने के लिए कई रियायतें देने के साथ नए काम शुरू करने पड़े हैं।

वित्तीय प्रबंधन पर रहेगा जोर 

वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा परिस्थिति में बहुत कुछ किए जाने की संभावना नहीं है। अब पूरा जोर वित्तीय प्रबंधन पर रहेगा। बजट का निर्धारण कोरोना संकट से पैदा हुए हालात को देखते हुए तय होगा। इसके लिए सभी विभागों के प्रमुखों के साथ चर्चा करने के बाद विभागों की दी जाने वाली राशि तय की जाएगी। इसमें अब फोकस उन गतिविधियों पर अधिक रहेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिले। बताया जा रहा है कि समान प्रकृति की योजनाओं को आपस में मिलाने के साथ राजस्व खर्चो में कटौती, केंद्र सरकार की योजनाओं में अपनी ओर से कुछ राशि मिलाने, सक्षम के लिए सबसिडी अनुदान के प्रावधान को समाप्त करने के साथ कम उपयोगी योजनाओं को बंद भी किया जा सकता है। संबल योजना सहित उन योजनाओं में बजट प्रावधान बढ़ाया जाएगा, जो सीधे बड़े वर्गो से जुड़ी हैं।

दो लाख करोड़ रुपये के आसपास रह जाएगा पिछला बजट

कमल नाथ सरकार ने 2019-20 का बजट दो लाख 33 हजार 605 करोड़ रुपये का प्रस्तुत किया था। इसमें राज्य करों से प्राप्तियां 65 हजार 274 करोड़ और केंद्रीय करों में प्रदेश के हिस्से के तहत प्राप्त होने वाली राशि 63 हजार 751 करोड़ रुपये प्रस्तावित थी। आर्थिक मंदी के कारण न तो राज्य के करों का लक्ष्य पूरा हुआ और न ही केंद्रीय करों में तय हिस्सा ही मिला। केंद्रीय करों में सीधे-सीधे 14 हजार 443 करोड़ रुपये की कटौती हुई तो राज्य के करों में करीब पांच हजार करोड़ रुपये कम आए। इसका असर यह हुआ कि राज्य सरकार को बहुत से खर्च में कटौती करनी प़़डी। अब विधानसभा में पुनरीक्षित बजट रखा जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अब यह दो लाख करोड़ रुपये के आसपास रह जाएगा।


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