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वरिष्ठ नागरिकों को समुचित जीवनयापन के लिए मिले पेंशन की उचित रकम

उम्मीद की जा सकती है कि इस सर्वेक्षण में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के विभिन्न सूचकांकों के तहत पाई गई कमियों को सरकार द्वारा उद्योग-व्यापार जगत के सहयोग से सुधार कर भारत में बुजुर्गो को बेहतर आर्थिक सुरक्षा देने के उपाय किए जाएंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 06 Nov 2021 10:13 AM (IST)Updated: Sat, 06 Nov 2021 10:13 AM (IST)
वरिष्ठ नागरिकों को समुचित जीवनयापन के लिए मिले पेंशन की उचित रकम
बुजुर्गों को मिले आर्थिक सुरक्षा। प्रतीकात्मक फोटो

अनंत मित्तल। भारत में करीब 14 करोड़ बुजुर्ग आबादी के बावजूद उनकी सामाजिक सुरक्षा का कोई समय सापेक्ष इंतजाम अभी तक नहीं हो पाया है। इसमें कोई शक नहीं कि पिछले डेढ़-दो दशकों में अनेक राज्य सरकारों एवं विभिन्न राजनीतिक दलों की केंद्र सरकारों ने भी वरिष्ठ नागरिकों के लिए मासिक पेंशन योजना शुरू की है। फिर भी पेंशन एवं अन्य सामाजिक सुरक्षा उपाय भारत में गरीबों की विशाल आबादी के बावजूद नाकाफी जैसे ही लग रहे हैं। इसकी पुष्टि 43 देशों की समग्र पेंशन प्रणाली के अध्ययन पर आधारित एक हालिया सर्वेक्षण में भारत में पेंशन के रूप में सबसे कम रकम मिलने के चिंताजनक तथ्य से हो रही है।

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दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के दावे के बावजूद 43 देशों की पेंशन रैंकिंग में भारत 40वें स्थान पर है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 60 वर्ष से अधिक उम्र के कुल 10.38 करोड़ नागरिक थे। इनमें से 71 प्रतिशत बुजुर्ग गांवों में तथा 29 प्रतिशत शहरों में रहते हैं। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रलय के तहत 65 वर्ष से अधिक आयु वाले बुजुर्गो को न्यूनतम 400 रुपये मासिक पेंशन देने का प्रविधान है। इस पेंशन योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों को दी जाने वाली पेंशन की इस राशि में आधी रकम केंद्र सरकार एवं बाकी राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।

उत्तर प्रदेश और बिहार सहित देश में कई अन्य राज्य सरकारें इस योजना के तहत न्यूनतम 500 रुपये मासिक वृद्धावस्था पेंशन दे रही हैं। हालांकि केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा बुजुर्गो को इसके अलावा भी अनेक सुविधाएं दी जा रही हैं, लेकिन कई कारणों से वे इन सभी सुविधाओं का आर्थिक लाभ उठा पाने में सक्षम ही नहीं हैं। मर्सर सीएफए ग्लोबल पेंशन इंडेक्स सर्वे (एमसीजीपीआइ) 2021 सर्वेक्षण में असंगठित श्रमिकों तक पेंशन का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की गई है। हालांकि भारत में अटल पेंशन योजना और प्रधानमंत्री किसान मानधन/ पेंशन योजना के तहत हालिया वर्षो में असंगठित एवं कृषि क्षेत्र के कामगारों के लिए 60 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन की पहल की गई है। अटल पेंशन योजना में सरकारी अंशदान आयकर दाताओं को नहीं मिलेगा।

इसी तरह किसान पेंशन योजना के तहत करीब 8.36 लाख किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्रलय के तहत रजिस्ट्रेशन करवाया है। इसका न्यूनतम प्रीमियम 55 और अधिकतम 200 रुपये है। पालिसीधारक किसान की मौत पर नोमिनी को भी पेंशन की 50 फीसद रकम मिलती रहेगी। पहले चरण में पांच करोड़ किसानों को 60 साल उम्र होने पर मासिक तीन हजार रुपये पेंशन मिलेगी। इसका लाभ सभी 12 करोड़ लघु एवं सीमांत किसानों ले सकते हैं। मालूम हो कि कृषि योग्य अधिकतम दो हेक्टेयर जमीन वाले लघु एवं सीमांत किसान हैं। इसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से भी अंशदान किया जा सकता है।

इनके अलावा भारत सरकार द्वारा साल 2004 से जारी नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस भी रिटायरमेंट के लिए बचत और पेंशन की महत्वपूर्ण योजना है। इसमें सरकारी कर्मचारियों के साथ ही आम नागरिक भी अपनी रकम जमा कर सकते हैं। इसमें निवेशित राशि का प्रयोग रिटायर होने के बाद दो प्रकार से किया जा सकता है। इसके एक हिस्से यानी 60 प्रतिशत जमा राशि को तो एकमुश्त निकाला जा सकता है। बाकी राशि के दूसरे हिस्से को मासिक पेंशन के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। इसमें न्यूनतम 500 रुपये मासिक जमा करके शामिल हुआ जा सकता है।

इनके अलावा भी भारत में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विधवा पेंशन योजना, विकलांग पेंशन योजना आदि चलाई जा रही हैं। साथ ही पीपीएफ, ईपीएफ, शेयर बाजार, सरकारी प्रतिभूतियों, सिप एवं विभिन्न बचत योजनाओं में निवेश के जरिये भी लोग अपने बुढ़ापे के लिए बचत करते हैं। इनके बावजूद ‘मर्सर’ रिपोर्ट के अनुसार देश में कर्मचारियों को उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा का दायरा बहुत तंग है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था की जबरदस्त कमी भी कोविड महामारी की छूत फैलने के दौरान अत्यंत शिद्दत से महसूस की गई है। भारत में 90 प्रतिशत से अधिक कामगारों के असंगठित क्षेत्र में रोजगार के बावजूद उनमें से अधिकांश को पेंशन के लिए खुद ही बचत करनी पड़ रही है।

हालांकि सरकारी रिपोर्ट के अनुसार देश में 2011 में ही बुजुर्गो की दूसरों पर निर्भरता बढ़कर 14.2 प्रतिशत हो चुकी थी। निर्भरता सूचकांक में 2021 की जनगणना में और वृद्धि की आशंका से अर्थव्यवस्था में पिछले तीन साल से आई सुस्ती के कारण इन्कार नहीं किया जा सकता। मर्सर सर्वेक्षण के अनुसार, भारत का समग्र सूचकांक मूल्य 43.3 रहा। पेंशन व्यवस्था की मजबूती को रेखांकित करने वाले उप सूचकांकों- पर्याप्तता, स्थिरता और उपयुक्तता में भारत क्रमश: 33वें, 41वें और 61वें स्थान पर आया है।

पर्याप्तता उप सूचकांक वित्तीय लाभ के पर्याप्त होने का प्रतीक है। स्थिरता उप सूचकांक भविष्य में पेंशन प्रणाली लाभप्रद होने का प्रतीक है। उपयुक्तता उप सूचकांक पेंशन प्रणाली के समूल संचालन को प्रभावित करने वाली विधायी व्यवस्था का प्रतीक है। सर्वेक्षण में 50 से ज्यादा संकेतकों का उपयोग किया गया है जिसमें 84 सूचकांक के बूते आइसलैंड बुजुर्ग पेंशन के क्षेत्र में अव्वल रहा है। अपने जीवन का श्रेष्ठ समय देश को देने के बाद सेवानिवृत्त होने पर जीवनयापन के लिए पर्याप्त मासिक रकम मिलनी चाहिए। इसके लिए पेंशन प्रणाली में व्यापक सुधार किया जाना चाहिए।

[आर्थिक व सामाजिक मामलों के जानकार]


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