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स्वच्छता के लिए आगे आएं वित्तीय संस्थान

ले में शौच मुक्त समाज बनाने और स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने बैंकों वित्तीय संस्थानों से आगे आने की अपील की है। केंद्रीय ग्रामीण विकास, पेयजल व स्वच्छता मंत्री चौधरी बिरेंद्र सिंह ने कहा कि इस मकसद के लिए उन्हें बड़े पैमाने पर

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 08:14 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 08:51 PM (IST)
स्वच्छता के लिए आगे आएं वित्तीय संस्थान

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खुले में शौच मुक्त समाज बनाने और स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने बैंकों वित्तीय संस्थानों से आगे आने की अपील की है। केंद्रीय ग्रामीण विकास, पेयजल व स्वच्छता मंत्री चौधरी बिरेंद्र सिंह ने कहा कि इस मकसद के लिए उन्हें बड़े पैमाने पर कर्ज देने के लिए आना होगा। सिंह मंगलवार को यहां स्वच्छ भारत के लिए अभिनव वित्त पोषण विषय पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे, जिसमें देश के प्रमुख बैंक व वित्तीय संस्थानों के आला अफसरों ने हिस्सा लिया।

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सिंह ने कहा कि गरीब परिवारों के लिए शौचालय बनाने को सरकार की ओर से 12 हजार रूपये की मदद मुहैया कराई जाती है। लेकिन अगर कोई उपभोक्ता अपना मकान अथवा शौचालय और सुंदर और बड़ा बनाने के लिए बैंकों से कर्ज मांगे तो उसे आसान ब्याज दर पर उपलब्ध होना चाहिए। वित्त मंत्रालय ने वाणिज्यिक बैंकों को स्वच्छता व पेयजल आपूर्ति को प्राथमिकता वाला क्षेत्र घोषित कर दिया है। इस नीतिगत बदलाव को जमीन पर उतारने की तत्काल व सख्त जरूरत है।

खराब स्वास्थ्य, कुपोषण और गरीबी से गंदगी का सीधा नाता है। इससे निजात पाने के लिए सभी को एकजुट होकर आगे आना होगा। सिंह ने कहा कि दो अक्तूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन के शुरु होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग डेढ़ करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी 50 फीसद लोग खुले में शौच जाते हैं, जिन्हें शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

स्वच्छ भारत मिशन में ठोस कचरा प्रबंधन प्रमुख पहलू है, जिसमें लघु व मझोले उद्यमियों के लिए अपार संभावनाएं हैं। इससे जहां गांव स्वच्छ होगा, वहीं गांव का पर्यावरण प्रबंधन सुधर जाएगा।

समारोह में ग्रामीण विकास सचिव जेके महापात्र ने स्वयं सहायता समूहों और स्वच्छ भारत मिशन के बीच बेहतर तालमेल बनाने पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि गरीब लोग न सिर्फ कर्ज पाने लायक है, बल्कि बेहद जिम्मेदार कर्जदार हैं। दक्षिण भारत में स्वयं सहायता समूहों की शानदार कामयाबी के बाद यह आंदोलन गंगा के मैदान और मध्य क्षेत्र में फैल रहा है। स्वच्छता अभियान की सफलता के लिए यह शुभ संकेत है।


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