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विरोध के बाद सरकार ने खींचे कदम, पीएफ पर मिलेगा 8.8 फीसद ब्याज

वित्‍त मंत्रालय ने ईपीएफ पर मिलने वाले ब्‍याज को 8.7 फीसद से बढ़ाकर 8.8 फीसद कर दिया है। इस पर ब्‍याज कम करने के खिलाफ कुछ संगठनों ने आज प्रदर्शन करने की धमकी तक दी थी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 04:14 PM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 07:04 PM (IST)
विरोध के बाद सरकार ने खींचे कदम, पीएफ पर मिलेगा 8.8 फीसद ब्याज

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। सरकार ने ईपीएफ पर 8.8 फीसद की ब्याज दर बहाल कर दी है। यह वही दर है जिसका सुझाव ईपीएफओ ट्रस्टी बोर्ड ने दिया था। मगर वित्त मंत्रालय ने उसे अस्वीकार कर दर को घटाकर 8.7 फीसद कर दिया था। अब श्रम मंत्रालय और यूनियनों के दबाव वित्त मंत्रालय ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं और पुरानी दर बहाल कर दी है।

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श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने इसका एलान किया। उन्होंने कहा कि मैं इस बात से खुश हूं कि वित्त मंत्रालय ने 2015-16 के लिए 8.8 फीसद ब्याज पर सहमति दे दी है। यह ईपीएफ को लेकर सरकार का तीसरा रोल बैक है। इससे पहले पिछले महीने सरकार को ईपीएफ की निकासी पर टैक्स लगाने की अपनी बजट घोषणा को वापस लेना पड़ा था। जबकि उसके बाद सरकार ने ईपीएफ निकासी के नए सख्त नियम भी वापस ले लिए थे। अब ब्याज दर को लेकर भी उसे पीछे हटना पड़ा है।

ईपीएफ ब्याज दर में कमी के खिलाफ कर्मचारी संगठनों, खासकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कड़ा एतराज जाहिर करते हुए देशव्यापी आंदोलन का एलान किया था। तदनुसार 27 अप्रैल को ईपीएफओ के 46 कार्यालयों के समक्ष प्रदर्शन हुए थे। बीएमएस के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने सरकार के आज के फैसले पर संतोष जाहिर करते हुए श्रम मंत्री व वित्त मंत्री को धन्यवाद दिया है।

ईपीएफ पर हर साल ब्याज दर की सिफारिश कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) का केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) करता है। केंद्रीय श्रम मंत्री इसके अध्यक्ष हैं। सीबीटी की सिफारिश पर वित्त मंत्रालय की मुहर लगती है। ऐसा बहुत कम ही होता है कि वित्त मंत्रालय सीबीटी द्वारा सुझाई गई दर को स्वीकार न करे। परंतु इस बार वित्त मंत्रालय ने सीबीटी के सुझाव को अस्वीकार कर दिया और केवल 8.7 फीसद ब्याज दर को मंजूरी दी थी। वित्त मंत्रालय पिछले कुछ समय से ईपीएफ पर नजरें गड़ाए हुए है।

वह इसके कोष के निवेश, निकासी तथा ब्याज दरों को लेकर नए नियम-कायदे लागू करने के पक्ष में है। ईपीएफ कोष के निवेश को लेकर तो उसे कुछ कामयाबी मिली है। और यूनियनों के विरोध के बावजूद अब इसके 5 फीसद हिस्से का इक्विटी बाजार में निवेश होने लगा है। लेकिन ईपीएफ की निकासी पर टैक्स तथा निकासी के नियमों को बदलने की वित्त मंत्रालय की कोशिशें यूनियनों तथा जनता के भारी विरोध के कारण परवान नहीं चढ़ पा रही हैं।

पिछले सप्ताह ईपीएफ ब्याज दरों में कमी के वित्त मंत्रालय के फैसले का विरोध करते हुए बीएमएस के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा था कि सीबीटी स्वायत्त निकाय है और वित्त मंत्रालय को उसके कार्यक्षेत्र में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। सीबीटी अपने कोष के आधार पर ब्याज दरों का निर्धारण करता है। 8.8 फीसद ब्याज देने के बाद भी उसके कोष में लगभग 100 करोड़ रुपये की राशि बचती है। फिर वह सीबीटी के प्रस्ताव को नामंजूर कैसे कर सकता है।

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