लाल अातंक से जल्द मुक्त होगा छत्तीसगढ़, नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक अभियान जारी
छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित इलाके अबूझमाड़ में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई शुरू की है।
दंतेवाड़ा,[योगेंद्र ठाकुर]। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के लिए सुरक्षित माने जाने वाले अबूझमाड़ क्षेत्र की तुलारगुफा पहाड़ी पर फोर्स ने हमला बोला तो नक्सलियों में भगदड़ मच गई। इस पहाड़ी तक इससे पहले कभी कोई फोर्स नहीं पहुंच सकी थी। अचानक जवानों को नजदीक देख कर नक्सलियों ने पहाड़ी से नीचे की ओर बम गिराए और फायरिंग भी की। पहाड़ी पर नक्सली थे और नीचे पांच सौ जवानों की टुकड़ी। लगातार दोनों तरफ से गोलियां चलीं। अफसरों की मानें तो फोर्स की मुठभेड़ यहां नक्सलियों की कंपनी नंबर छह से हुई। पहाड़ी पर नक्सली कैंप में कंपनी कमांडर सोभी सहित कुआनार एरिया कमेटी की नीति उर्फ उर्मिला और के रामचंद्रन उर्फ चंदू की मौजूदगी की सूचना थी। के रामचंद्रन उत्तर बस्तर सब डिवीजन कमेटी का सचिव है।
दंतेवाड़ा में खास अभियान शुरू
दंतेवाड़ा-बीजापुर और नारायणपुर जिले के सरहदी और दुर्गम पहाड़ी पर अक्सर नक्सलियों के बड़े नेताओं का जमावड़ा रहता है। नारायणपुर और दंतेवाड़ा की फोर्स वहां प्लान बनाकर खुफिया तरीके से पहुंची। इस इलाके में ग्रामीण भी सीधे जाने से कतराते हैं। अधिकारियों की रणनीति के तहत नारायणपुर और दंतेवाड़ा से डीआरजी व एसटीएफ के साथ सीआरपीएफ के 500 जवान पहाड़ी पर चढ़ गए थे। अलग-अलग टुकड़ियों में जवान तुलारगुफा की ऊपरी पहाड़ी पर चढ़ने के बाद नक्सलियों के कैंप से कुछ मीटर ही दूर थे, तभी नक्सलियों को फोर्स की भनक लग गई और उन्होंने पहले से लगाए बम को विस्फोट कर दिया। इसके बाद फोर्स पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। इससे जिले के डीआरजी और एसटीएफ के तीन जवान घायल हो गए जिन्हें रात में ही पहाड़- जंगल से बाहर निकालकर जिला मुख्यालय लाया गया। अफसरों का मानना है कि नक्सलियों में अब दहशत की स्थिति है और वहां अब फोर्स दोबारा जाना चाहेगी।
शिवरात्रि पर ग्रामीणों को दी थी हिदायत
प्राकृतिक तुलारगुफा में भगवान शिव की पूजा करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिवरात्रि में पहुंचते हैं जिनका सहयोग स्थानीय ग्रामीण करते हंै। इलाके में फोर्स की मौजूदगी भी नहीं होती। इस बार श्रद्धालुओं का सहयोग करने ग्रामीण मौजूद नहीं थे और रास्ते में भी पथ प्रदर्शक चिन्ह नहीं बनाए गए थे। ग्रामीण सूत्रों की मानंे तो नक्सलियों की हिदायत के चलते ग्रामीण श्रद्धालुओं का सहयोग करने सामने नहीं आए। श्रद्धालु स्वयं की सुरक्षा और पूर्व में पहुंचे साथियों के सहयोग से गुफा तक पहुंचे थे। श्रद्धालुआंे की मानें तो वहां मौजूद ग्रामीण गुफा और कुछ चुनिंदा जगहों के अलावा अन्य स्थलों पर फोटोग्राफी करने से मना करते रहे। ज्ञात हो कि तुलारगुफा के आसपास और रास्ते में करीब आधा दर्जन स्थल पर नक्सलियों के बड़े- बड़े स्मारक आज भी कायम हैं। उनका वर्चस्व क्षेत्र में बना हुआ है। इस बात का खुलासा पिछले दिनों आत्मसमर्पण करने वाला नक्सली मंगू कर चुका है। वह इलाके में टेक रमन्ना के सहयोगी के रूप में हथियार रिपेयर करने का काम करता था।
नक्सलियों के कब्जे वाला इलाका
दंतेवाड़ा के नक्सल ऑपरेशन एएसपी गोरखनाथ बघेल के मुताबिक तुलारगुफा की पहाड़ी पर बड़े नक्सली नेताओं के मौजूदगी की सूचना पर फोर्स निकली थी, जहां नक्सलियों के कंपनी नंबर 6 से फोर्स की मुठभेड़ हुई। इसमें तीन जवान घायल हुए जिन्हें रात को ही हेलीकाप्टर से रायपुर शिफ्ट किया गया। एक जवान की हालत अभी गंभीर है। मुठभेड़ स्थल दुर्गम है। यह नक्सलियों के कब्जे वाला इलाका है, जहां पहली बार फोर्स पहुंची थी।