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मानव तस्करों से लड़ बचाया सैकड़ों बच्चों का भविष्य, अब महिलाओं को कर रहीं सशक्त

3000 से अधिक महिलाओं को कानून की जानकारी देकर सामाजिक न्याय के प्रति जागरूक किया गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 10:30 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 10:32 AM (IST)
मानव तस्करों से लड़ बचाया सैकड़ों बच्चों का भविष्य, अब महिलाओं को कर रहीं सशक्त
मानव तस्करों से लड़ बचाया सैकड़ों बच्चों का भविष्य, अब महिलाओं को कर रहीं सशक्त

रांची, फहीम अख्तर। झारखंड में मानव तस्करों ने अपना जाल चारों ओर फैला रखा है। गरीब बच्चे-बच्चियों का बचपन इस जाल में उलझकर रह जा रहा। तस्कर इन्हें झारखंड से ले जाकर दूसरे बड़े शहरों में बेच देते हैं। वहां इन बच्चों का जमकर शोषण होता है। तस्करों के खिलाफ राज्य में बड़ी लड़ाई लड़ रही हैं सीता स्वांसी। सीता की संस्था दीया सेवा संस्थान ने अब तक दूसरे राज्यों से 950 लड़के-लड़कियों को रेस्क्यू कराया है।

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सौ से अधिक मानव तस्करों को जेल भिजवा चुकीं सीता कहती हैं, हिंसा और यौन शोषण का शिकार बच्चों के चेहरे पर रिहाई के बाद जब मुस्कान देखती हूं तो जो खुशी मिलती है उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। तस्करों से मिलने वाली धमकी और खतरे इस खुशी के आगे कळ्छ भी नहीं। सीता ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर सैकड़ों पीड़ितों को न्याय और मुआवजा समेत सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिलाया है।

कई स्कूली बच्चों का कराया नामांकन: सीता ने बाल मजदूरी और मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाए गए बच्चों का स्कूल में नामांकन कराया। उनके अभिभावकों को आर्थिक मदद दिलाई गई ताकि दोबारा ये बच्चे गरीबी के कारण दलालों के चंगुल में न फंसे। एक दशक पहले जब सीता की संस्थान ने मानव तस्करी, बाल मजदूरी, महिला हिंसा, यौन शोषण और बंधुआ मजदूरी के खिलाफ काम शुरू किया था, तब लोगों को यह असंभव लगता था। वे बताना नहीं भूलते थे कि इस काम में कितना खतरा है, लेकिन सीता ने हौसला नहीं छोड़ा।

हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है: सीता स्वांसी ने मिसिंग चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है ताकि इस पर लोग जानकारी दे सकें। रोज दर्जनों फोन मानव तस्करी के खिलाफ आते हैं। तस्करी के शिकार बच्चे-बच्चियों को छुड़ाने के लिए पुलिस, सीआइडी, बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग से लेकर मानवाधिकार आयोग तक की मदद ली जाती है। टीमों का गठन कर छापेमारी कर बच्चों का रेस्क्यू कराया जाता है। दलालों के लिए सीता खौफ का दूसरा नाम है। संस्था के प्रयासों से मानव तस्करी के मामले में कमी आई है।

महिलाओं को सशक्त बनाने की कोशिश: 3000 से अधिक महिलाओं को कानून की जानकारी देकर सामाजिक न्याय के प्रति जागरूक किया गया है। डायन कुप्रथा के खिलाफ भी संस्था लंबे समय से काम कर रही है।

बचपन बचाओ आंदोलन के साथ जुड़कर कराया रेस्क्यू

सीता स्वांसी की संस्था दीया सेवा संस्थान की ओर से मानव तस्करी के 350 से अधिक मामले झारखंड के विभिन्न थानों में दर्ज कराए गए हैं, जिनकी लगातार मॉनीटरिंग की जाती है। लापता बच्चों को ढूंढ़ने में भी संस्था अहम भूमिका निभा रही है। सीता ने वर्ष 2013 में कैलाश सत्यार्थी के बचपन बचाओ आंदोलन के साथ जुड़कर 284 बच्चों को रेस्क्यू कराया था। 2012 में झारखंड के अलावा असम, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की 22 लड़कियों को भी तस्करों के चंगुल से छुड़ाया। 950 बच्चों का रेस्क्यू करा चुकी हैं।


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